रेलवे का इंटरलॉक एक सुरक्षा प्रणाली है जो रेलवे संरचना में प्रयोग की जाती है। यह रेल यातायात को सुरक्षित और संगठित बनाने के लिए विभिन्न आवश्यक क्रियाएं संचालित करता है। इंटरलॉक सिस्टम सभी संबंधित संकेतों, सिग्नलों, रेल गेटों और अन्य सुरक्षा उपकरणों को एकदृश्यता देता है और उन्हें व्यवस्थित तरीके से कार्य कराता है। इसे रेलवे संरचना की एक महत्वपूर्ण उपकरण के रूप में माना जाता है जो दुर्घटनाओं को रोकता है और यात्रियों और संपत्ति की सुरक्षा सुनिश्चित करता है। इंटरलॉक रेलवे संरचना के प्रमुख हिस्सों के बीच संचालनीय संपर्क स्थापित करके आवश्यकतानुसार संकेतों को नियंत्रित करता है, जिससे संकेत त्रुटि और दुर्घटनाओं की संभावना को कम किया जा सकता है। इंटरलॉक के माध्यम से, रेलवे संरचना के विभिन्न घटकों के बीच संचालनीय संपर्क स्थापित किया जाता है। इसमें ट्रैक, सिग्नल, रेल गेट, प्लेटफॉर्म और अन्य सुरक्षा सुविधाओं को शामिल किया जाता है। जब किसी ट्रेन को एक सेक्शन से दूसरे सेक्शन पर जाने की आवश्यकता होती है, तो इंटरलॉक प्रणाली संदर्भ में आती है। इसे एक तरह का सुरक्षा परत समझा जा सकता है, जो सुनिश्चित करती है कि दो ट्रेनें एक साथ एक ही ट्रैक पर नहीं चलती हैं और वे सुरक्षित रूप से चल सकें। इंटरलॉक के माध्यम से, सिग्नल और संकेतों के समय परिवर्तन, रेल गेटों की खोल-बंद, रेलवे प्लेटफॉर्म की उपयोगिता, और अन्य संबंधित कार्रवाईयों को नियंत्रित किया जाता है। इससे सुनिश्चित होता है कि एक या अधिक ट्रेनें एक सेक्शन से दूसरे सेक्शन पर साथ में प्रवेश नहीं कर सकती हैं और ऐसी स्थिति से दुर्घटनाओं की संभावना कम होती है। इंटरलॉक तकनीकी प्रक्रिया होती है, जिसमें संबंधित उपकरणों के बीच संकेतों, सिग्नलों और संपर्कों का संगठन किया जाता है। यह उपकरणों के बीच विशेष संवाद स्थापित करके उन्हें सही क्रम में कार्य करने के लिए निर्देश देता है। इस तरीके से, रेलवे सुरक्षा और संचालन में अधिक निश्चितता और सुरक्षा सुनिश्चित की जाती है। इंटरलॉक प्रणाली का मुख्य उद्देश्य है यात्रियों और कर्मचारियों की सुरक्षा सुनिश्चित करना। इसके द्वारा ट्रेनों के साथ-साथ ट्रैक, सिग्नल और अन्य सुरक्षा उपकरणों को भी सुरक्षित बनाया जाता है। इंटरलॉक प्रणाली में विभिन्न उपकरणों के बीच संपर्क स्थापित किया जाता है ताकि उन्हें सही क्रम में कार्य करने के लिए निर्देश दिए जा सकें। इंटरलॉक का इस्तेमाल सिग्नल नियंत्रण के दौरान ट्रेनों की गति को नियंत्रित करने में भी किया जाता है। यह सुनिश्चित करता है कि दो ट्रेनें एक ही ट्रैक पर एक साथ नहीं चलती हैं ताकि किसी संघर्ष या संक्रमण की संभावना कम हो जाए। इसके लिए सिग्नल और संगठनिक उपकरणों के बीच संपर्क स्थापित किया जाता है ताकि ट्रेनों को सही समय पर संकेत मिल सके और उन्हें सुरक्षित रूप से चलाया जा सके। क्या होती है पुरानी रेलवे इंटरलॉकिंग प्रणाली: पुरानी रेलवे इंटरलॉकिंग प्रणाली में मैकेनिकल और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का उपयोग होता था। इस प्रणाली में बटन, स्विच, लीवर और रेल गेट जैसे उपकरण उपयोग होते थे जो चालकों द्वारा हाथ से संचालित किए जाते थे। इस प्रणाली में मैकेनिकल इंटरलॉक गेटवे के संपर्क में काम करते थे जो ट्रेनों को सुरक्षित रूप से चलाने और उनके ट्रैक पथ को नियंत्रित करने की क्षमता प्रदान करते थे। नई रेलवे इंटरलॉकिंग प्रणाली: नई रेलवे इंटरलॉकिंग प्रणाली में इलेक्ट्रॉनिक और कंप्यूटर टेक्नोलॉजी का प्रयोग होता है। यह नवीनतम सुरक्षा प्रणाली है जो ऑटोमेटेड होती है और कंप्यूटरीकृत निर्धारण पर आधारित होती है। इसमें एक कंप्यूटर सिस्टम ट्रैनों के संचार, संकेत और नियंत्रण को निर्देशित करता है जो आवश्यक नियंत्रण को स्वचालित रूप से संचालित करता है। इस प्रणाली में उच्च गति इंटरनेट, सेंसर्स, विशेष प्रोटोकॉल और अन्य तकनीकी उपकरणों का प्रयोग होता है जो सुरक्षा स्तर को बढ़ाते हैं और ट्रेनों के बीच संघर्ष को रोकने में सहायता करते हैं। सावधान और भी ज्यादा सख्त हुआ गूगल, ऐसे काम करने पर पंहुचा देगा आपको जेल अब फ्री में आप भी जितना मन हो उतना देख सकते है NETFLIX और अमेज़न क्या आप भी करते है अधिक Earphone का इस्तेमाल तो आज ही शुरू कर दें ये काम