MARCOS या मरीन कमांडो भारत की सबसे घातक स्पेशल फोर्स है। हालांकि उन्हें सभी क्षेत्रों में लड़ाई में शामिल होने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है, मार्कोस कमांडो समुद्री युद्ध में सुपर-विशेषज्ञ भी कहे जाते है। कैसे होता है मार्कोस कमांडो का चयन ?: भारतीय नौसेना की इस यूनिट में शामिल होने के लिए किसी भी कैंडिडेट को पहले 3 दिवसीय, फिजिकल फिटनेस टेस्ट तथा योग्यता परीक्षा का सामना करना होता है। यह परीक्षा इतनी कठिन होती है कि लगभग 80% कैंडिडेट्स को स्क्रीनिंग के बाद हीं बाहर निकाल दिया जाता है। मार्कोस कमांडोज की ट्रेनिग: मार्कोस कमांडोज की ट्रेनिंग लगभग 3 वर्ष तक के लिए होती है। भारतीय नौसेना की इस यूनिट में शामिल होने के लिए 20 वर्ष के, 100 में से 20% निर्भय और दुस्साहसी युवाओं का हीं चयन किया जाता है। कैंडिडेट्स के चयन के उपरांत उनकी 5 सप्ताह की अत्यंत दुष्कर ट्रेनिंग प्रक्रिया आरम्भ होती है, इसमें ट्रेनी को न तो सोने दिया जाता है न खाने। और साथ में कठोर परिश्रम अलग। इन यातनाओं के बाद भी जो कैंडिडेट ट्रेनिंग छोड़कर नहीं भागते उन्हें मूल ट्रेनिंग के लिए चुना जाता है। मार्कोस की इस ट्रेनिंग में कैंडिडेट्स को जांघों तक कीचड़ के अन्दर घुस कर 800 मीटर तक की दौड़ लगानी भी पड़ती है। यही नहीं इस प्रक्रिया के दौरान इनके कन्धों पर 25 किलो का वजन भी रख कर दौड़ाया जाता है। बोलते है कि कसौटी पर घिस कर हीं असली सोना निखरता है सो इन कठिन अभ्यासों के उपरांत हीं दुनिया के सबसे शक्तिशाली, दिलेर और बेस्ट कमांडोज निकल कर सामने आ जाते है। 'हर टेंट, हर कम्बल और हर मदद के लिए शुक्रिया भारत..', भूकंप की विभीषिका से जूझ रहे तुर्की ने जताया आभार ब्रिटेन की संसद पर हमला करेगा रूस ? पुतिन के करीबी साथी ने कर डाली ये बड़ी मांग ! रियल मैड्रिड ने 5वीं बार अपने नाम किया FIFA वर्ल्ड कप ख़िताब