नई दिल्ली : अंततः जीएसटी काउंसिल की दो दिवसीय बैठक के पहले दिन देश में एक अप्रैल 2017 से प्रस्तावित नई अप्रत्यक्ष कर प्रणाली जीएसटी की चार स्तरीय दरों पर सहमति बन ही गई. जीएसटी की इन चार दरों में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) में शामिल आधी वस्तुओं को जहाँ कर मुक्त किया जाएगा, वहीँ जरूरी वस्तुओं पर सबसे कम 5 फीसदी कर लगाया जाएगा, जबकि विलासिता की वस्तुओं पर सर्वाधिक 28 फीसदी कर के साथ ही उपकर(सेस) भी वसूलने का प्रावधान किया गया है. बता दें कि जीएसटी काउंसिल की गुरुवार से शुरू हुई दो दिनी बैठक के पहले दिन सभी राज्यों ने चार स्तरीय 5, 12, 18 और 28 फीसदी जीएसटी पर सहमति बन गई. बैठक के बाद वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बताया कि जीएसटी की उच्चतम 28 फीसदी दर उन वस्तुओं पर लागू होगी, जिन पर फिलहाल 30 से 31 फीसदी (12.5 फीसदी एक्साइज ड्यूटी और 14.5 फीसदी वैट) कर लगता है, इसलिए उन वस्तुओं को 18 फीसदी वाली श्रेणी में डाला जाएगा. जरूरी सामानों पर सबसे कम पांच प्रतिशत कर लगेगा. जबकि महंगाई (सीपीआई या उपभोक्ता मूल्य सूचकांक) की दर मापने के बॉस्केट में आने वाली अनाज समेत 50 प्रतिशत वस्तुओं पर कोई कर नहीं लगाया जाएगा. उल्लेखनीय है कि चार स्तरीय कर श्रेणी पर बनी सहमति में इस बात का ध्‍यान रखा गया है कि आम आदमी पर इसका बोझ ज्‍यादा ना पड़े. इसके चलते रोजमर्रा में इस्‍तेमाल होने वाली चीजों पर टैक्‍स 6 प्रतिशत की बजाय 5 प्रतिशत करने पर सहमति बन गई है. हालाँकि अभी यह स्पष्ट नहीं है कि सरकार रोजमर्रा की की चीजों की सूची में किन वस्‍तुओं को शामिल करती है. सोने पर भी दरों को लेकर भी कोई साफ निर्णय सामने नहीं आया है. जीएसटी की नई दरों में साबुन, तेल, टूथपेस्ट जैसी रोजमर्रा की चीजें सस्ती तो होंगी लेकिन कर 18 फीसदी की दर से लगेगा.इसी तरह टीवी, फ्रीज, वॉशिंग मशीन व अन्य इलेक्ट्रॉनिक सामान पर 28 फीसदी कर की श्रेणी में लाया जाएगा. इससे ये वस्तुएं सस्ती हो जाएंगी. अनाज टैक्स मुक्त होगा अतः यह भी सस्ता होगा, जबकि लक्जरी कारें, पान मसाला, गुटखा, तंबाकू, कोल्ड ड्रिंक आदि महंगे हो जाएंगे. जीएसटी के कर ढाँचे से महंगी होंगी रसोई की..