क्या आप भी रखते मंदिर में इस तरह के बर्तन?

हिन्दू धर्म में पूजा पाठ को ख़ास महत्व दिया जाता है और हर कोई सुबह उठकर सबसे पहले भगवान की आराधना करते है. शास्त्रों के अनुसार जिस घर में पूरे विधि विधान से पूजा होती है वंहा हमेशा सुख-समृद्धि रहती है और पूरा परिवार खुशहाल रहता है. ऐसा कहा जाता है कि जिस तरह भगवान की सही पूजा विधि महत्व रखती है ठीक उसी तरह मंदिर में रखे बर्तनों का भी बहुत बड़ा हाथ होता है.

आपने कई घरों में देखा होगा कि मंदिर में पूजा की चीजों को रखने के लिए अलग-अलग धातु से बने बर्तनों का इस्तेमाल करते हैं लेकिन इन बर्तनों को लेकर भी कई सारी बातों का ध्यान रखना पड़ता है तो चलिए जानते है कि कौन सी बातें है.

शास्त्रो के अनुसार मंदिर में पूजा करने के लिए सोना, चांदी, पीतल और तांबे की बर्तनों का उपयोग शुभ माना गया है, इसके अलावा पूजन में लोहा और एल्युमीनियम धातु से निर्मित बर्तन वर्जित किए गए हैं. दरअसल लोहा, स्टील और एल्युमीनियम का उपयोग इसलिए वर्जित माना गया है क्योंकि पूजा के लिए यह धातु अपवित्र मानी जाती है.

 

माना जाता है कि लोहा में हवा, पानी से जंग लग जाता है. जैसा कि हम सभी जानते है कि पूजा के दौरान भगवान को स्नान कराते है और स्नान के समय मूर्तियों को रगड़ा भी जाता है जिससे जंग और कालिख का हमारी त्वचा पर बुरा प्रभाव पड़ता है इसलिए लोहे और एल्युमीनियम के बर्तन मंदिर में सही नहीं माना गया है.

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