ऐसा माना गया है की इस ब्रह्मांड में कई लोक हैं. सभी लोकों के अलग-अलग देवी देवता हैं जो इन लोकों में रहते हैं . पृथ्वी से इन सभी लोकों की दूरी अलग-अलग है. मान्यता है नजदीकि लोक में रहने वाले देवी-देवता जल्दी प्रसन्न होते हैं, क्योंकि लगातार ठीक दिशा और समय पर किसी मंत्र विशेष की साधना करने पर उन तक तरंगे जल्दी पहुंचती हैं. यही कारण कि यक्ष, अप्सरा, किन्नरी आदि की साधना जल्दी पूरी होती है, क्योंकि इनके लोक पृथ्वी से पास हैं. यक्षिणी को शिव जी की दासिया भी कहा जाता है, यक्ष का शाब्दिक अर्थ होता है जादू की शक्ति. आदिकाल में प्रमुख रूप से ये रहस्यमय जातियां थीं. देव,दैत्य,दानव, राक्षस,यक्ष,गंधर्व,अप्सराएं, पिशाच,किन्नर, वानर, रीझ,भल्ल, किरात, नाग आदि. ये सभी मानवों से कुछ अलग थे. इन सभी के पास रहस्यमय ताकत होती थी और ये सभी मानवों की किसी न किसी रूप में मदद करते थे. देवताओं के बाद देवीय शक्तियों के मामले में यक्ष का ही नंबर आता है.जिस तरह प्रमुख 33 देवता होते हैं, उसी तरह 64 यक्ष और यक्षिणियां भी होते हैं. इनमे से निम्न 8 यक्षिणियां प्रमुख मानी जाती है मिटाये तुलसी से अपने घर के वास्तु दोष को बच्चो के लिए खास वास्तु टिप्स फर्नीचर भी बन सकता है वास्तु दोष का कारण