शिवजी के बहुत सारे नामो से पुकारा जाता है. उन्हें अजन्मा भी माना गया है यानि उनका कोई आरंभ है न अंत है. न उनका जन्म हुआ है, न वह मृत्यु को प्राप्त होते हैं. शिव जी को महाकाल के नाम से जाना जाता हैं इसलिए उन्हें कालों का काल भी कहते है. आखिर क्यों भगवान शिव को महाकाल के नाम से पुकारा जाता है आइये जानते है- महादेव मनुष्य के शरीर में प्राण के प्रतीक माने जाते हैं जिस व्यक्ति के अन्दर प्राण नहीं होते हैं तो उसे शव का नाम दिया गया है. भगवान् भोलेनाथ का त्रिदेवों में सबसे महत्वपूर्ण स्थान माना जाता है.शिव को मृत्युलोक का देवता माना जाता है. यह बात तो आपको पता ही होगी की भगवान शिव के तीन नेत्रों वाले हैं. इसलिए त्रिदेव कहा गया है. ब्रम्हा जी सृष्टि के रचयिता माने गए हैं और विष्णु को पालनहार माना गया है. वहीँ, भगवान शंकर संहारक हैं. यह केवल लोगों का संहार करते हैं. भगवान भोलेनाथ संहार के अधिपति होने के बावजूद भी सृजन का प्रतीक हैं. इसके आलावा पंच तत्वों में शिव को वायु का देवता भी माना गया है. वायु जब तक शरीर में चलती है, तब तक शरीर में प्राण बने रहते हैं. लेकिन जब वायु क्रोधित होती है तो प्रलयकारी बन जाती है. जब तक वायु है, तभी तक शरीर में प्राण होते हैं. शिव अगर वायु के प्रवाह को रोक दें तो फिर वे किसी के भी प्राण ले सकते हैं, वायु के बिना किसी भी शरीर में प्राणों का संचार संभव नहीं है. क्यों मनाई जाती है लोहड़ी जानिए कौन थी भगवान शिव और माता पार्वती की पुत्री यहाँ स्थित है भगवान शिव का महामृत्युंजय मंदिर