कोलकाता: कलकत्ता उच्च न्यायालय ने पश्चिम बंगाल की सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल कांग्रेस (TMC) के चारों नेताओं को मिली बैल पर रोक लगा दी, जिसके बाद उन्हें प्रेसिडेंसी जेल में डाल दिया गया। अरेस्ट किए गए नेताओं में फिरहाद हाकिम और सुब्रता मुखर्जी राज्य में मंत्री हैं तो मदन मित्रा MLA हैं। सोवन चटर्जी कोलकाता के महापौर थे। मित्रा और सोवन भी कभी ममता बनर्जी कैबिनेट का हिस्सा थे। इस कार्रवाई का विरोध करते हुए TMC सांसद कल्याण बनर्जी ने गवर्नर जगदीप धनखड़ के लिए आपत्तिजनक शब्दों का भी उपयोग किया था। इस कार्रवाई के बाद सीएम ममता बनर्जी ने कोलकाता के निजाम पैलेस स्थित CBI कार्यालय के सामने अपने सैकड़ों समर्थकों के साथ धरना दिया, जिस पर कलकत्ता उच्च न्यायालय ने सख्त टिप्पणी की है। हाई कोर्ट ने कहा कि यदि नेताओं को गिरफ्तार किए जाने के बाद इस प्रकार की घटनाएँ होती हैं तो लोगों का न्यायपालिका में विश्वास खो जाएगा। स्पेशल CBI कोर्ट ने चारों को जमानत दे दी थी, जिस पर उच्च न्यायालय ने रोक लगा दी है। बता दें कि सोमवार की रात उच्च न्यायालय की पीठ की अर्जेन्ट सिटिंग हुई। ये मामला नारदा स्कैम से संबंधित है, जिसके स्टिंग टेप के आधार पर आरोप लगे हैं कि फर्जी कंपनियों को लाभ पहुँचाने के लिए TMC के मंत्रियों ने रुपए लिए। अब कलकत्ता उच्च न्यायालय के कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल और न्यायमूर्ति अर्जित बनर्जी ने कहा है कि अगले आदेश तक इन चारों आरोपित नेताओं को न्यायिक हिरासत में रखा जाए। अदालत ने कहा कि, “न्यायिक व्यवस्था में नागरिकों का भरोसा होना सबसे अधिक महत्वपूर्ण है क्योंकि ये उनके लिए अंतिम विकल्प है। लोगों को ऐसा लग सकता है कि कानून-व्यवस्था की जगह भीड़तंत्र हावी है। खासकर ऐसे मामले में, जहाँ राज्य की सीएम CBI कार्यालय में भीड़ का नेतृत्व कर रही हों और कानून मंत्री अदालत के परिसर में। यदि आप कानून के राज़ में यकीन रखते हैं तो ऐसी घटनाएँ नहीं होनी चाहिए।” अगले हफ्ते से 14 भाषाओँ में उपलब्ध होगा कोविन पोर्टल, GoM की बैठक में हुआ ऐलान इस म्यूजियम दिवस पर हुआ बड़ा एलान, हस्तिनापुर में बनाया जाएगा संग्रहालय ‘खतरों के खिलाड़ी 11’ से बाहर हुआ यह मशहूर एक्टर, नाम सुनकर लगेगा झटका!