नई दिल्ली: वायु प्रदूषण पर अंकुश लगाने और स्वच्छ वातावरण बनाने की जरूरत पर लोगों को जागरूक करने के लिए आईआईटी दिल्ली और कू ऐप (Koo App) ने एक बड़ा कदम उठाया है। इसके लिए आईआईटी दिल्ली के इंडस्ट्री इंटरफ़ेस संगठन- फाउंडेशन फॉर इनोवेशन एंड टेक्नोलॉजी ट्रांसफर (FITT) ने कू ऐप के साथ एक साझेदारी की घोषणा की है। प्रदूषण के स्तर पर स्थानीय भाषाओं में कंटेंट देने के साथ वायु प्रदूषण के प्रभाव को रोकने के संभावित उपायों के साथ यह साझेदारी पहली बार सोशल मीडिया पर आने वाले यूजर्स समेत दर्शकों के व्यापक और ज्यादा विविधता भरे वर्ग तक पहुंचेगी। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के साथ मिलकर आईआईटी दिल्ली ने वायु प्रदूषण के स्तर को ट्रैक करने के लिए भारत में कई स्थानों पर सेंसर लगाए हैं। अब आईआईटी दिल्ली एक एपीआई बनाएगा, जिसे डेटा हासिल करने के लिए कू ऐप एपीआई के साथ जोड़ा जाएगा। फिर इस डेटा को स्थानीय भाषाओं की पोस्ट, तस्वीरों और वीडियो के रूप में मंच पर इंटरैक्टिव कंटेंट के रूप में यूजर्स के साथ शेयर किया जाएगा। वायु प्रदूषण को लेकर जागरूकता बढ़ाने के लिए कू ऐप एक विशिष्ट हैंडल का निर्माण करेगा, जिसमें यूजर्स को अपनी सुरक्षा के लिए जरूरी उपायों को लागू करने में सक्षम बनाने के लिए डॉक्टरों और विशेषज्ञों की सलाह भी शामिल होगी। देश भर में वायु प्रदूषण चिंता का एक प्रमुख कारण बना रहा है और लोगों में सांस से जुड़ी कई बीमारियों की वजह बना है। यह तापमान में तेज बढ़ोतरी का कारण बनने के लिए भी जाना जाता है। इसलिए इस तरह की साझेदारी के माध्यम से जन जागरूकता प्रदूषण के स्तर को कम करने और समाज पर इसके प्रभाव को कम करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह साझेदारी छह महीने के लिए एक पायलट स्टडी के रूप में शुरू होगी और प्रदूषण के विशिष्ट स्रोतों की पहचान करने में मदद करेगी। इससे नीति निर्माताओं और सरकार को डेटा-संचालित सटीक जानकारी देने के साथ साक्ष्य-आधारित नीति बनाने में मदद मिलेगी। आईआईटी दिल्ली में डिपार्टमेंट ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज के प्रो. पी विग्नेश्वर इलावरसन ने कहा, “मुझे व्यक्तिगत रूप से यह जानने में खुशी हो रही है कि वैज्ञानिक साक्ष्य-आधारित जानकारी (प्रदूषण डेटा पर) को कू ऐप जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के माध्यम से भारी तादाद में लोगों के इस्तेमाल के लिए कैसे बदला जा सकता है। स्थानीय भाषाओं के हिसाब से कंटेंट को कस्टमाइज करने से बेहतर परिणाम लाने में मदद मिलेगी। इस पायलट प्रोजेक्ट में समूचे भारत के स्तर पर लोगों को ऐसी व्यवहारिक आदतों को अपनाने के लिए प्रेरित करने की क्षमता है, जो अंततः प्रदूषण को रोकने में मदद कर सकती हैं।” आईआईटी दिल्ली में सेंटर फॉर एटमॉस्फेरिक साइंसेज के इंस्टीट्यूट चेयर प्रोफेसर प्रो. सग्निक डे का मानना है कि वायु प्रदूषण भारत में पर्यावरण और स्वास्थ्य की सबसे बड़ी चिंता है। वह कहते हैं, “जन समर्थन और जन जागरूकता के बिना, वायु प्रदूषण के मुद्दे को हल नहीं किया जा सकता है। मैं वायु प्रदूषण के बारे में लोगों की धारणा का पता लगाने और स्वच्छ वायु से जुड़ी आदतों को बढ़ावा देने वाले इस पायलट प्रोजेक्ट का हिस्सा बनने पर उत्साहित हूं। यह हमें एक अधिक प्रभावी संचार रणनीति विकसित करने और लोगों की भागीदारी बढ़ाने का मौका देगा।" कू ऐप के सह-संस्थापक और सीईओ अप्रमेय राधाकृष्ण ने कहा, “सोशल मीडिया जनता की भलाई के लिए है। नागरिकों को प्रभावित करने वाले विषयों पर जागरूकता बढ़ाने वाले एक जिम्मेदार मंच के रूप में कू ऐप, आईआईटी दिल्ली के साथ संयुक्त रूप से काम करने के लिए सबसे बेहतर स्थिति में है। मल्टी-लिंगुअल कू (एमएलके) फीचर के जरिये कू ऐप व्यक्तिगत, सामुदायिक और सरकारी सहित हर स्तर पर जागरूकता बढ़ा सकता है। हम सब मिलकर यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि वायु प्रदूषण से संबंधित चिंताएं हमारे बच्चों के भविष्य का हिस्सा न बनें।” कू ऐप के बारे में:- Koo App की लॉन्चिंग मार्च 2020 में भारतीय भाषाओं के एक बहुभाषी, माइक्रो-ब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म के रूप में की गई थी, ताकि भारतीयों को अपनी मातृभाषा में अभिव्यक्ति करने में सक्षम किया जा सके। कू ऐप ने भाषा-आधारित माइक्रो-ब्लॉगिंग में नया बदलाव किया है। Koo App फिलहाल हिंदी, मराठी, गुजराती, पंजाबी, कन्नड़, तमिल, तेलुगू, असमिया, बंगाली और अंग्रेजी समेत 10 भाषाओं में उपलब्ध है। Koo App भारतीयों को अपनी पसंद की भाषा में विचारों को साझा करने और स्वतंत्र रूप से अभिव्यक्ति के लिए सशक्त बनाकर उनकी आवाज को लोकतांत्रिक बनाता है। मंच की एक अद्भुत विशेषता अनुवाद की है जो मूल टेक्स्ट से जुड़े संदर्भ और भाव को बनाए रखते हुए यूजर्स को रीयल टाइम में कई भाषाओं में अनुवाद कर अपना संदेश भेजने में सक्षम बनाती है, जो यूजर्स की पहुंच को बढ़ाता है और प्लेटफ़ॉर्म पर सक्रियता तेज़ करता है। प्लेटफॉर्म चार करोड़ डाउनलोड का मील का पत्थर छू चुका है और राजनीति, खेल, मीडिया, मनोरंजन, आध्यात्मिकता, कला और संस्कृति के 7,000 से ज्यादा प्रतिष्ठित व्यक्ति अपनी मूल भाषा में दर्शकों से जुड़ने के लिए सक्रिय रूप से मंच का लाभ उठाते हैं। सोनिया-राहुल हो सकते हैं गिरफ्तार ! नेशनल हेराल्ड केस में ED को मिला बड़ा सबूत यहाँ हुआ 'शिव के अवतार' का जन्म, फिर हुआ कुछ ऐसा कि रोने लगे लोग अचानक पानी पीने लगे महादेव के नंदी, दर्शन को उमड़ी लोगों की भीड़