देशभर में जन्माष्टमी का त्यौहार बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है. इस त्यौहार को कृष्णाष्टमी, गोकुलाष्टमी, अष्टमी रोहिणी, श्रीकृष्ण जयन्ती और श्री जयन्ती के नाम से भी जाना जाता है. इस साल जन्माष्टमी पर भगवान श्री कृष्णा का 5245वां जन्मदिन मनाया जाएगा. देशभर में जन्माष्टमी को लेकर खासतौर से तैयारियां की जाती है. मंदिरों में भी विशेष रूप से सजावट होती है. जब भी जन्माष्टमी की बात की जाती है तो जहन में मथुरा और वृन्दावन का ही ख्याल सबसे पहले आता है. देशभर में यहां की जन्माष्टमी काफी ज्यादा मशहूर है. आज हम आपको कुछ ऐसे मंदिरों के बारे में बता रहे हैं जिनका श्री कृष्णा से गहरा नाता है- ये बात तो लगभग सब को पता है कि श्री कृष्णा का जन्म कारागार में हुआ था. कृष्णा जन्मभूमि की जन्माष्टमी विश्वभर में प्रसिद्द है. कृष्णा जन्मस्थली मथुरा के बीच में स्थित है. द्वारकाधीश मंदिर का निर्माण साल 1814 में हुआ था. इस मंदिर में श्री कृष्णा से सम्बंधित सभी घटनाओं का वर्णन कलाकृतियों के तौर पर किया गया है. निधिवन में कान्हा जी अपनी गोपियों संग रास रचाने आते थे और कहा जाता है कि आज भी यहां कृष्णा रास रचाने आते हैं. शाम होते ही इंसानों सहित सभी जानवर और पक्षी भी यहां से चले जाते है. वृन्दावन के बांके-बिहारी का मंदिर के दर्शन के बिना तो यहां की यात्रा अधूरी मानी जाती है. रामा रमण मंदिर सबसे पुराना और भव्य मंदिर है. जन्माष्टमी के मौके पर यहां कई सारे कार्यक्रम आयोजित होते हैं. चीरघाट यहां के कदम्ब के पेड़ के कारण मशहूर है. ऐसा कहा जाता है कि राक्षस का वध करने के बाद श्री कृष्णा ने इस पेड़ के नीचे ही विश्राम किया था. कालिया दमन घाट भी भगवान श्री कृष्णा को जानने के लिए बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है. ऐसा कहा जाता है कि जब श्री कृष्णा कालिया का दमन कर लौटे थे तब उनके माता-पिता इतना ज्यादा रोए थे कि उस वजह से इस घाट का निर्माण हो गया था. श्रृंगार घाट यमुना के घाट पर स्थित है. ये घाट श्रीकृष्ण और राधा को समर्पित है. कहा जाता है कि इस घाट पर ही श्री कृष्णा न राधा का श्रृंगार किया था. खबरें और भी... जय श्री कृष्ण कृष्ण की महिमा कृष्ण का प्यार श्री कृष्ण जन्माष्टमी मंगलमय हो आओ मिलकर सजाये नन्दलाल को