नई दिल्ली : शुक्रवार को हिंदी की जानी मानी साहित्यकार कृष्णा सोबती का निधन हो गया. उन्होंने 93 साल की उम्र में आज अंतिम सांस ली. बताया जा रहा है कि पिछले की दिनों से उनका स्वास्थ काफी खराब था. जिसके चलते उन्हें कई समस्याओं का सामना करना पड़ता था. कृष्णा सोबती हिंदी की प्रमुख गद्य लेखिका थीं. उनके निधन की खबर से साहित्य जगत में शोक की लहर दौड़ पड़ी है. हिंदी के लिए उनकी अमूल्य योगदान को कटी नहीं भुलाया जा सकता. साथ ही उनकी कमी भी पूरी नहीं की जा सकती है. जानकारी के मुताबिक, उन्हें कुछ समय पहले ही सीने में तकलीफ के चलते अस्पताल में भर्ती कराया गया था. हिंदी के मशहूर साहित्यकार ने पाकिस्तान में जन्म लिया था. वह अपने उपन्यासों में राजनीति और समाज की नब्ज टटोलने के साथ ही मध्यमवर्गीय महिला की आवाज बनकर सामने आईं. आपको बता दें कि उपन्यास और कहानी विधा में उन्होंने जमकर लेखन किया. कृष्णा की प्रमुख कृतियों में डार से बिछुड़ी, मित्रो मरजानी, यारों के यार तिन पहाड़, सूरजमुखी अंधेरे के, सोबती एक सोहबत, जिंदगीनामा, ऐ लड़की, समय सरगम, जैनी मेहरबान सिंह जैसे प्रमुख और प्रसिद्द उपन्यास शामिल हैं. कृष्णा साहित्‍य अकादमी सम्मान, साहित्य शिरोमणि सम्मान, शलाका सम्मान, मैथिली शरण गुप्त पुरस्कार, साहित्य कला परिषद पुरस्कार, कथा चूड़ामणि जैसे पुरष्कारों से भी सम्मानित की जा चुकी है. गोवा में उपद्रव मचाना पर्यटकों को पड़ेगा भारी, लगेगा इतना जुर्माना जल्द ही दिल्ली से वाराणसी के बीच दौड़ेगी सुपर फ़ास्ट 'ट्रेन-18' आरक्षण को लेकर नीतीश कुमार ने केंद्र को दी ऐसी नसीहत प्रियंका-निक ने शादी में इस तरह किया था एन्जॉय, नई तस्वीरें आई सामने