मणिपुर में कुकियों का आतंक, 6 लापता मैतेई महिलाओं में से 3 के शव मिले

इम्फाल: मणिपुर के जिरीबाम जिले में सोमवार से लापता छह लोगों में से तीन के शव शुक्रवार को असम-मणिपुर सीमा पर जिरीमुख इलाके में मिले। ये शव जिरी नदी में तैरते हुए पाए गए। इन लोगों को कुछ दिन पहले जिरीबाम के एक कैंप से अगवा किया गया था। शवों को पोस्टमार्टम के लिए सिलचर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल ले जाया गया है।  

 पुलिस को सूचना मिली कि जिरी नदी में शव तैरते हुए देखे गए हैं। असम राइफल्स के जवानों ने नदी से शवों को बाहर निकाला। अभी तक परिवारों ने शवों की औपचारिक पहचान नहीं की है, लेकिन इनका हुलिया लापता हुए छह लोगों में से तीन से मेल खाता है। यह घटना मणिपुर में हालिया उग्रवाद और हिंसा से जुड़ी हुई है। कुछ दिन पहले, जिरीबाम जिले के बोरोबेकरा इलाके में सुरक्षाबलों ने एक मुठभेड़ के दौरान 11 कुकी उग्रवादियों को मार गिराया था। उग्रवादियों ने सीआरपीएफ कैंप और पुलिस स्टेशन पर हमला किया था।  

मुठभेड़ के बाद, तीन महिलाएं और तीन बच्चे लापता हो गए थे। कहा गया कि इन लोगों का अपहरण कुकी उग्रवादियों ने किया। अब इन्हीं लापता लोगों में से तीन के शव मिलने से स्थिति और गंभीर हो गई है। मणिपुर में हिंसा की शुरुआत 3 मई 2023 को हुई। उस समय, कुकी-जो जनजाति समुदाय ने मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति (ST) का दर्जा दिए जाने की मांग के विरोध में प्रदर्शन किया था। यह विरोध हिंसक हो गया और आगजनी तथा तोड़फोड़ शुरू हो गई।  

मैतेई समुदाय का कहना था कि मणिपुर के 1949 में भारत में विलय से पहले उन्हें जनजाति का दर्जा मिला हुआ था। इस पर मणिपुर हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से सिफारिश की कि मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने पर विचार किया जाए।  मणिपुर में लगातार हो रही घटनाओं ने राज्य में कानून-व्यवस्था की स्थिति को और चुनौतीपूर्ण बना दिया है। इस घटना ने फिर से वहां की संवेदनशीलता को उजागर किया है।

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