बहुत कुछ दे सकती है कविता क्यों कि बहुत कुछ हो सकती है कविता ज़िन्दगी में अगर हम जगह दें उसे जैसे फलों को जगह देते हैं पेड़ जैसे तारों को जगह देती हैं रात हम बचाये रख सकते हैं उसके लिए अपने अंदर कहीं ऐसा एक कोना जहाँ जमीन और आसमान जहाँ आदमी और भगवान के बीच दूरी कम से कम हो। वैसे कोई चाहे तो जी सकता है एक नितांत कविता-रहित ज़िन्दगी कर सकता है कविता-रहित प्रेम। -कुंवर नारायण