नई दिल्ली : भारतीय नौसेना इस समय हेलिकॉप्टरों की कमी से पिछले एक दशक जूझ रही है, क्योंकि उत्पादन परियोजना का असफल होना है. इससे नौसेना की दुश्मन की पनडुब्बियों के खिलाफ मारक क्षमता बुरी तरह प्रभावित हुई है. जबकि नेवी को इस समय 147 मल्टी-रोल हेलिकॉप्टरों (MRHs) की सख्त जरूरत है. सूत्रों के अनुसार 2005 में 16 MRHs की खरीद को मंजूरी दी गई थी, लेकिन 12 सालों बाद भी अब तक ये हेलिकॉप्टर नेवी को नहीं मिल सके हैं. 2008 में इस प्रॉजेक्ट के लिए ग्लोबल टेंडर जारी किया गया था लेकिन अब यह रद्द होने की कगार पर है.इसका कारण हेलिकॉप्टर बनाने वाली सिकोरस्काई (अब अमेरिकी कंपनी लॉकहीड मार्टिन ने अधिग्रहण कर लिया है) के साथ कीमत को लेकर सौदा तय नहीं हो पाना है. इतना ही नहीं, 123 और मल्टी-रोल हेलिकॉप्टरों के साथ-साथ 110 नवल लाइट यूटिलिटी हेलिकॉप्टरों के अधिग्रहण का काम अंजाम तक नहीं पहुंच पाया है.स्थिति इतनी गंभीर हो चुकी है कि नेवी ने सिकोरस्काई से 16 एस-70बी सीहॉक चॉपर्स की खरीद प्रक्रिया को रद्द करने के खिलाफ अब रक्षा मंत्रालय को 'डिसेंट नोट' भेजा है. जबकि नेवी को दो इंजनों वाले नवल लाइट यूटिलिटी हेलिकॉप्टरों (NUHs) की भी सख्त जरूरत है जो पुराने हो चुके सिंगल-इंजन चेतक हेलिकॉप्टरों की जगह ले सकें. नेवी को इस समय 147 मल्टी-रोल हेलिकॉप्टरों (MRHs) की सख्त जरूरत है, जिनमें ऐंटी-सबमरीन क्षमता हो. इनके बिना नेवी, दुश्मन की पनडुब्बियों के खिलाफ कमजोर साबित होगी इससे नेवी की मारक क्षमता प्रभावित हो रही है. यह भी पढ़ें भारतीय नेवी ने सबमरीन से किया अंडर वाटर मिसाइल का परीक्षण पाल नौका तारिणी से बढ़ेगी नौसेना की शक्ति