मुंबई: 'छपाक' वो आवाज जिसने सभी महिलाएं की जिंदगी बर्बाद कर दी। ये वो आवाज है, जिसने महज महिलाओं के शरीर को ही नहीं खराब किया, बल्कि उनकी आत्मा को भी बुरी तरह झुलसा दिया है। खूबसूरती और बदसूरती के बीच के इस सफर से गुजरते हुए कई महिलाएं मिसाल के रूप में उभर कर सामने आई हैं। इन महिलाओं में लक्ष्मी अग्रवाल का भी एक ऐसा नाम है, जिन्होनें तेजाब से झुलसे हुए चेहरे से अपनी खूबसूरती के साथ लोगों को जीना सिखाया। लक्ष्मी नें खुद पर आधारित फिल्म 'छपाक' का ट्रेलर देखा। इसके बाद उन्होंने कहा कि उन्हें दीपिका को देखकर लगा, जैसे वे खुद ही हैं। 'छपाक' का ट्रेलर देखने के बाद लक्ष्मी ने कहा कि यह आवश्यक है कि उन लोगों के दिमाग से 'तेजाब' शब्द को निकाला जाए जो इसे बदला लेने का माध्यम बना लेते हैं। लक्ष्मी कहती हैं कि जब मैनैं अपनी जंग लड़ने का फैसला किया तो परिस्थितियां बहुत जटिल थीं। उन्होंने कहा कि लोगों का एसिड अटैक पीडितों को देखने के नज़रिए में बदलाव आया है। पहले लोग बदसूरत चेहरे देखना नहीं चाहते थे। अब लोग उन्हीं के साथ सेल्फी लेते हैं। हमसे दोस्ती करते हैं और विवाह भी करना चाहते हैं। इस तरह की फिल्म का बनाया जाना बेहद आवश्यक था। इस तरह की फिल्मों से लोग एसिड अटैक पीड़ित को अब घृणा की निगाहों से नहीं देखेगें। Jumanji The Next Level Review: कहानी समझने के लिए, इसकी पिछली फिल्म देखनी होगी Mardaani -2 : फिर एक बार अपराधियों की धज्जियाँ उड़ाती नज़र आएंगी रानी मुखर्जी, जानिए क्या है रिव्यु बॉक्स ऑफिस पर संघर्ष कर रही संजय दत्त की पानीपत, 6 दिनों में कमाए महज इतने करोड़