गांधी जी की चकाचौंध में धुंधली पड़ी शास्त्री जी की यादें

लाल बहादुर शास्त्री जी का जन्म 2 अक्टूबर 1904 को मुगलसराय में मुंशी शारदा प्रसाद श्रीवास्तव के यहां हुआ था, शास्त्री जी के पिता शिक्षक थे। अपने परिवार में सबसे छोटे शास्त्री जी को परिवार में बहुत प्रेम और स्नेह के साथ लालन पालन दिया गया था। वहीं जब वे 18 साल ​के थे तब उनके ​पिताजी की मृत्यु हो गई थी। काशी विद्यापीठ से शास्त्री की उपाधि मिलते ही शास्त्री जी ने अपने नाम में से श्रीवास्तव जाति को हमेशा के लिए अलग कर दिया। 

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शास्त्री जी की राजनैतिक यात्रा

लाला बहादुर शास्त्री जी ने अपनी शिक्षा को पूरा करने बाद राजनीति में प्रवेश किया और सबसे पहले उन्होेंने 1929 में इलाहबाद में भारत सेवक संघ की इलाहबाद इकाई में सचिव के पद पर काम करना शुरू किया। वहीं नेहरू जी के साथ अधिकांश समय बिताने वाले शास्त्री जी की दोस्ती नेहरू जी के साथ गहरी हो गई ​थी। भारतीय स्वतंत्रता के बाद जवाहर लाल नेहरू पहले प्रधानमंत्री बने थे। वहीं उनके बाद बनने वाले देश के प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी थे। इसके अलावा शास्त्री जी एक सच्चे गांधीवादी थे। जिन्होंने अपना सारा जीवन शांतिपूर्ण तरीके से व्यतीत किया था। 

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शास्त्री जी ने देश की आजादी के समय हुए तमाम आंदोलनों में भी अपना योगदान दिया और कई बार जेल भी गए। शास्त्री जी मुख्यत: 1921 के असहयोग आंदोलन, 1930 के दांडी मार्च और 1942 में हुए भारत छोड़ो आंदोलन में शामिल हुए थे। यहां हम आपको बता दें कि महात्मा गांधी के देश में ज्यादा नाम होने के कारण शास्त्री जी को लोगों ने बिल्कुल भी याद नहींं किया हालांकि गांधी की के जन्म वाले दिन ही शास्त्री जी का भी जन्म हुआ था। लेकिन उसके बावजूद भी शास्त्री जी को लोग कम ही याद करते हैं। या यूं कहें तो गांधी जी की देश में इतनी ज्यादा लहर चली कि जनता ने शारूत्री जी को याद ही नहीें किया। 

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