भारत के राज्य बिहार की राजनीति में काफी समय से हलचल देखने को मिल रही है. समाजवादी नेता शरद यादव ने महागठबंधन के पांच में से तीन घटक दलों के प्रमुख नेताओं से बंद कमरे में बातचीत कर राष्‍ट्रीय जनता दल और कांग्रेस की बेचैनी बढ़ा दी है. शरद यादव की क्रियाशीलता को प्रत्यक्ष तौर पर तीसरे मोर्चे की कवायद से जोड़कर देखा जा रहा है, किंतु पर्दे के भीतर की कहानी यह भी है आरजेडी पर दबाव डालकर वे लालू प्रसाद यादव से अपने लिए राज्यसभा की सदस्यता सुनिश्चित करना चाहते हैं. तुर्की और रूस के बीच बढ़ा तनाव, आखिर क्या है इसका अहम् कारण आपकी जानकारी के लिए बिहार कोटे की राज्यसभा की पांच सीटें अप्रैल में खाली होंगी. आरजेडी के खाते में दो सीटें आनी तय हैं. शरद यादव भी इसके लिए दावेदार हैं. इसी मकसद से उनकी रांची में शनिवार को लालू से मुलाकात भी हुई। इस दौरान दोनों नेताबों के बीच बड़े मुद्दों पर बातचीत हुई. विदेशी मंत्री जयशंकर का बड़ा बयान, कहा- 'चिंता मत करें, भारत अकेले सुलझा लेगा कश्मीर मसला...' इस मामले को लेकर सूत्रो का कहा है कि शरद के नाम पर तेजस्वी सहमत नहीं हैं. पटना में तीन दिनों तक रहते हुए भी दोनों नेताओं के बीच मुलाकात नहीं हो सकी. जबकि, तेजस्वी को मुख्यमंत्री का चेहरा मानने से परहेज करने वाले जीतन राम मांझी, उपेंद्र कुशवाहा और मुकेश सहनी से शरद की लंबी मंत्रणा हुई. इसके भी दो मायने निकाले जा रहे है. पहला यह कि शरद को तेजस्वी की सरपरस्ती स्वीकार नहीं है और दूसरा, 74 वर्षीय शरद बताना-जताना चाह रहे हैं कि राजनीति में अभी वह पूरी तरह अप्रासंगिक नहीं हुए हैं. बता दे कि शरद यादव महागठबंधन के अन्य घटक दलों के सहयोग से तेजस्वी यादव के चारों ओर घेरा डालने की कोशिश में हैं. शरद यादव के फ्रंट पर आकर खेलने की बेचैनी का असर है कि मांझी, कुशवाहा और मुकेश सहनी को उनमें नेतृत्व का अक्स दिखने लगा है. हालांकि, आरजेडी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रघुवंश प्रसाद सिंह कहते हैं कि शरद देश के नेता हैं. बिहार तेजस्वी के लिए है. रोहित शेखर तिवारी हत्याकांड : उज्ज्वला ने पति की हत्या को लेकर कोर्ट में बोली ये बात शाहीन बाग प्रदर्शन हो सकता है समाप्त, अमित शाह करने वाले है मुलाकात जानकारों की उम्मीद, सफल होगा ट्रंप का भारत दौरा