इन पांच अफसरों ने पकड़ा लालू का चारा घोटाला

चारा घोटाले के मामले में आज कोर्ट में लालू प्रसाद यादव की पेशी है. घोटाले का खुलासा 1996 में हुआ था, जब लालू प्रसाद यादव बिहार के मुख्यमंत्री थे. आइए जानते हैं उन पांच ईमानदार अफसरों के बारे में, जिन्होंने इस घोटाले का पर्दाफाश किया. 1. अमित खरे- उस समय डेप्युटी कमिश्नर रहे खरे ने सबसे पहले पशुपालन विभाग के राजकोष (ट्रेजरी) से पैसों के लेन-देन में गड़बड़ी पाई और चारे की सप्लाइ करने वालों और जिला पशुपालन अफसर के यहां चार अफसरों की टीम के साथ छापा मारा था.

2. लाल एससी नाथ शाहदेव - एडीएम के पद पर तैनात शाहदेव को पशुपालन विभाग के बिलों के मिलान करने और फर्जीवाड़े का विवरण देने की जिम्मेदारी दी गई थी. इसके बाद फर्जी बिल का अंबार बरामद हुआ, जो जांच में विभाग के पूरे बजट से ज्यादा मिला.

3. वीएच राव देशमुख- तत्कालीन एसपी देशमुख ने स्थानीय पुलिस को अलर्ट किया और चारे की सप्लाई करने वालों के प्रतिष्ठानों पर लगातार छापे मारते हुए सप्लायर्स के पास से कैश, ट्रेजरी बिल और स्टैंप बरामद किए और घोटाले में शामिल अफसरों को सबूत नष्ट करने से रोका. 

4. फिडलिस टोप्पो- उस समय सब डिविजनल ऑफिसर रहे फिडलिस ने भी सप्लायर्स और अफसरों के घर से काफी कैश जब्त किया और कुछ जगहों पर दस्तावेज भी बरामद किए.

5. बिनोद चंद्र झा  एग्जिक्युटिव मैजिस्ट्रेट के तौर पर  झा ने छापे मारने वाली टीम को सहयोग दिया और सर्च ऑपरेशन की निगरानी की. 

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