पटना: बिहार विधानसभा की चार सीटों पर हो रहे उपचुनाव में परिवारवाद एक बार फिर चर्चा का विषय बन गया है। इन सीटों पर कई बड़े नेताओं के रिश्तेदार उम्मीदवार के रूप में खड़े हैं। गया जिले के इमामगंज से पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी की बहू दीपा मांझी चुनाव लड़ रही हैं। वहीं, बेलागंज सीट से राजद सांसद सुरेंद्र यादव के बेटे विश्वनाथ यादव मैदान में हैं। तरारी में जदयू नेता सुनील पांडे के बेटे विशाल पांडे उम्मीदवार हैं, जबकि रामगढ़ सीट पर राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह के बेटे अजीत सिंह को टिकट मिला है। दरअसल, जन सुराज पार्टी के नेता प्रशांत किशोर ने परिवारवाद के मुद्दे को उठाते हुए जनता से अपील की है कि वे इस बार नेताओं के परिवारों के लिए नहीं, बल्कि अपने परिवारों के लिए वोट दें। उनके इस बयान पर जीतनराम मांझी ने प्रतिक्रिया देते हुए परिवारवाद की अपनी परिभाषा पेश की और लालू प्रसाद यादव के परिवार पर निशाना साधा। मांझी ने कहा कि परिवारवाद असल में वह है, जो लालू यादव का परिवार करता है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि लालू यादव के बेटे तेज प्रताप यादव, जो कभी कबड्डी खेलते थे, अचानक विधायक और फिर मंत्री बन गए। तेजस्वी यादव, जो क्रिकेट खेलते थे, भी विधायक और मंत्री बन गए। लालू यादव की बेटी रोहिणी, जो सिंगापुर में रहती थीं, अचानक भारत लौटकर चुनाव लड़ीं। उनकी दूसरी बेटी मीसा भारती भी बिना खास राजनीतिक अनुभव के सांसद बन गईं। मांझी ने जोर देकर कहा कि असल परिवारवाद यह है, जो लालू परिवार करता है। अपनी बहू दीपा मांझी को टिकट देने पर सफाई देते हुए मांझी ने कहा कि दीपा पहले से ही राजनीति में सक्रिय रही हैं। वह जिला परिषद की सदस्य रही हैं और एक कर्मठ कार्यकर्ता हैं। मांझी ने कहा कि दीपा ने अपनी मेहनत और संघर्ष के बल पर राजनीति में जगह बनाई है और यह परिवारवाद नहीं है। 'बंगाल सरकार ने मुझे फंसाया, चुप रहने की धमकी दी..', बोला कोलकाता रेप-मर्डर का आरोपी अयोध्या में रामभजन बजा रहे मुस्लिम परिवार पर रईस खान ने किया हमला, दी गालियां खेल-खेल में कार में बैठ गए 4 बच्चे, अचानक लॉक हुआ गेट, चारों की मौत