लेम्‍बोर्गिनी: लक्ज़री, खूबसूरत, बेमिसाल कारों के कारवां की दास्तान

इटली के मशहूर उद्योगपति फेरुचियो लेम्‍बोर्गिनी (Ferrucio Lamborghini) ने विश्‍व युद्ध द्वितीय के बाद एक छोटी सी कंपनी बनायी, जो सेना के अतिरिक्‍त वाहनों को ढोने के लिए ट्रेक्‍टरों का निर्माण करती थी. इसके बाद वे एयरकंडीशन और हीटिंग सिस्‍टम बनाने में जुट गए. ये दोनों बिजनेस बहुत अधिक कामयाब हुए, और इन्‍होंने लेम्‍बोर्गिनी को एक बहुत ही अमीर व्‍यक्ति बना दिया. अपनी कामयाबी के दम पर वे उस समय अपने लिए कई सुपरकार खरीद सके. इनमें फेरारी 250जीटी भी शामिल थी. लेम्‍बोर्गिनी को उस कार का क्‍लच जरा परेशानी देने वाला लगा. उनकी जिंदगी में बड़ा बदलाव तब आया, जब उन्‍होंने इस क्‍लच की शिकायत, फेरारी के मालिक एंजो फेरारी से की. फेरारी ने लेम्‍बोर्गिनी का मजाक उड़ाते हुए उन्‍हें 'ट्रेक्‍टर-बनाने वाला' कहा, और यह भी कहा कि दिक्‍कत कार में नहीं, ड्राइवर में है. इस बात ने लेम्‍बोर्गिनी को अपनी प्रतिस्‍पर्धी स्‍पोर्ट्स कार कंपनी बनाने के लिए प्रेरित किया और फिर 1963 में संत अगाता बोलोनीज में ऑटोमोबिली लेम्‍बोर्गिनी की स्‍थापना की. लेम्‍बोर्गिनी ने उसी साल अपनी पहली स्‍पोर्ट्स कार लेम्‍बोर्गिनी 350 जीटीवी लॉन्‍च की.

कंपनी का लोगो सांड रखा गया, और उनकी कई कारों के नाम भी लड़ते हुए सांडों के नाम पर ही रखे गए. यह चलन आज तक जारी है. लेम्‍बोर्गिनी ने 1970 में अपने ट्रेक्‍टर बिजनेस में सूखा आने से पहले कई प्रसिद्ध कारों का निर्माण किया. इनमें प्रतिष्ठित म्यिूरा (Miura) और पोस्‍टरों की शान रही कून्ताश (Countach) भी शामिल रहीं. फेरुचियो लेम्‍बोर्गिनी ने आखिकार 1974 के तेल संकट के बाद कंपनी में अपनी सारी हिस्‍सेदारी बेच दी. इस तेल संकट के कारण लोग हाई परफॉरमेंस कारों को छोड़कर अधिक माइलेज देने वाले वाहनों का रुख कर रहे थे. ऑटोमोबिली लेम्‍बोर्गिनी के मालिक कई बार बदले और आखिर 1990 के अंत में फौक्‍सवेगन ने इस कंपनी की बागडोर अपने हाथ में ले ली. 

भव्‍य म्यिूरा का निर्माण वर्ष 1966 और 1973 के बीच किया गया.अपने लॉन्‍च के समय यह दुनिया की सबसे जल्‍दी निर्मित होने वाली कार थी. हाई परफॉरमेंस, मिड इंजन और टू-सीटर स्‍पोर्ट्स कार की शुरुआत करने का श्रेय म्यिूरा को जाना चाहिए. 1966 के जेनेवा मोटर शो में मर्चेलो-गंडिनी (Marcello Gandini) की डिजाइन की हुई इस कार को काफी लोगों ने सराहा. अपनी सात वर्ष के निर्माण काल में इस कार ने 740 यूनिट बेचीं. इस कार के प्रोटोटाइप इंजन को जेनेवा मोटर शो में नहीं दिखाया गया. हालांकि यह काफी अजीब था, लेकिन इसके पीछे एक बड़ी वजह थी. कार के इंजीनियर इसे बनाने को लेकर इतनी जल्‍दी में थे, कि उन्‍होंने इस बात की जांच ही नहीं की आखिर इंजन कार में फिट होगा भी या नहीं. नतीजा यह हुआ कि इंजन कंपार्टमेंट में रोड़ी भरकर ही इसे मोटरशो में लाया गया.लेकिन इसके बावजूद इस कार को मशहूर होने से नहीं रोका जा सका. इस डिजाइन ने मर्चेलो को दुनिया भर में मशहूर कर दिया.28 फरवरी 1993 को लेम्‍बोर्गिनी की मौत 76 वर्ष की आयु में हो गयी. मगर उनकी विरासत लेम्‍बोर्गिनी आज भी दुनिया को लक्ज़री कारों से नवाज़ रही है. 

 

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