कुशीनगर: 13 मासूमों की मौत का जिम्मेदार कौन ?

कुशीनगर: उत्तरप्रदेश के कुशीनगर में हुए स्कूल वेन हादसे से पूरा देश में शोक लहर है, इस हादसे में अभी तक 13 मासूम बच्चों की जान जा चुकी है, लेकिन कई लोगों के मन में यह सवाल भी उठ रहा है कि आखिर ट्रेन के सामने स्कूल वेन पहुंची कैसे ? क्या वेन ड्राइवर को ट्रेन की आवाज़ सुनाई नहीं दी ? क्या समपार पर बैरिकेड्स नहीं लगे थे ? अगर इन बातों में से किसी एक पर भी ध्यान रखा जाता तो इन मासूमों की जान बच सकती थी. 

राज्य सरकार ने हादसे के बाद मुआवजे का ऐलान तो कर दिया है, लेकिन क्या मुआवजा इस लापरवाही की भरपाई कर सकता है ? क्या उन बच्चों के माँ-बाप उस मुआवजे से बुढ़ापे की लाठी होने की उम्मीद लगा सकते हैं ? कुछ ही महीनों पहले बजट में रेल मंत्री पियूष गोयल ने घोषणा की थी कि देश के सारे मानव रहित रेलवे क्रासिंग पर बेरिकेड्स लगाए जाएंगे. अगर वे भी लगे होते तो यह हादसा न होता. आज ही सुबह रेलवे की तरफ से एक और घोषणा की गई थी , कि कुछ ट्रेनों के डिब्बों का रंग बदला जाएगा, लेकिन क्या रंग बदलना इन मूलभूत कार्यों से ज्यादा जरुरी है.

अगर देखा जाए तो इसमें दोष सिर्फ रेलवे का नहीं है, स्कूल वाहन के चालक का भी है. पुलिस द्वारा की गई जांच में पता चला है कि स्कूल वेन का ड्राइवर ने कान में हेडफोन्स लगा रखे थे, जिस कारण वो ट्रेन की आवाज़ नहीं सुन पाया और यह हादसा घटित हो गया. इस तरह तो सड़क पर भी हादसा हो सकता है. ऐसे में सबक सरकार के लिए भी है और उन लोगों के लिए भी जो गाड़ी चलते समय मोबाइल, हेडफोन्स जैसे उपकरणों का उपयोग करते हैं.  

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