हम कई ऐसे लोगों को देखते हैं जो अधिक बोलते हैं और अपने बोलने के लिए जाने जाते हैं. चाहे उनमे कोई और टैलेंट हो या ना हो. वैसे ही कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जिनमें भले ही बोलने क भाव कम हो लेकिन वो अपने काम में और अपनी सफलता में काफी आगे रहते हैं. आज हम ऐसे ही एक देश के बारे में बताने जा रहे हैं जो बोलने में पीछे हैं लेकिन तरक्की में काफी आगे है. आइये जानते हैं. दरअसल, हम ऐसे देश की बात कर रहे हैं जहाँ के सभी लोग कम ही बोलते हैं. एक दो लोग अगर कम बोलते हैं तो हम ये समझते हैं उनका स्वाभाव ही है, लेकिन जहाँ पूरा देश ही कम बोले तो उसे क्या समझेंगे. ऐसा ही एक देश है यूरोप का जिसका नाम है लातविया. इस देश को कम बोलने वाला देश भी कहा जाता है और यही इनकी संस्कृति भी बन चुकी है. आपको बता दें लात्विया के लिए काफी टैलेंटेड और क्रिएटिव होते हैं जो ज्यादा बोलने में नहीं बल्कि करने में यकीन रहते हैं. एक मनोवैज्ञानिक के अनुसार लात्विया के लोगों की पहचान ही उनके क्रिएटिविटी से है इसलिए वो लोग कम बोलना पसंद करते हैं. कम बोलकर वो अपने दिमाग को नयी नयी चीज़ों के सोचने में लगाते हैं. वहीं लेखिका अनेते कोनस्ते के अनुसार कम बोलना अच्छी आदत नहीं मानी जाती. उनका कहना है लोग जहाँ लोग एक मंच पर आ गए हैं और अपनी नयी नयी क्रिएटिविटी बता रहे हैं वहीं ये लोग अपने खामोश रहकर अपना नुकसान कर रहे हैं. इसके लिए यहाँ के लोगों को बदलने की ज़रूरत है. कीचड़ की रोटी खा रहे लोग, सहवाग ने किया वीडियो शेयर 'नीले खून' वाले जीवों का मेडिकल लैब में चूसा जा रहा खून एक ऐसा रेस्टोरेंट जहाँ इंसान ही खाता है इंसान को..