स्वर्ण मंदिर के बारे में जानें कुछ पुरानी और जरुरी बातें

स्वर्ण मंदिर जो की अमृतसर मे स्थित है यह मंदिर सिखों का सबसे पवित्र और दार्शनिक स्थल माना जाता है। हर धर्म का कोई न कोई ऐसा स्थान होता है जहां उनके भगवान होते है चाहे वह हिन्दू हो, मुस्लिम हो, सिक्ख हो, ईसाई हो बस उन्हे मानने के तरीके अलग-अलग है। ईश्वर तो मात्र एक ही है इसी के चलते यह अमृतसर का प्रसिद्ध मंदिर बहुत ही अच्छा दार्शनिक स्थल है। जिस तरह हिन्दू के लिये अमरनाथ जी और मुस्लिमों के लिए काबा पवित्र है। उसी प्रकार सिखों के लिए यह स्वर्ण मंदिर महत्वता रखता है। सिक्ख धर्म के लिए यह स्वर्ण मंदिर बहुत ही महत्वपूर्ण माना गया है। सिक्खों के इस स्थल को "अथ सत तीरथ" के नाम से भी जाना जाता है। सिखों के पांचवें गुरु अर्जुनदेव थे जिन्होंने स्वर्ण मंदिर का निर्माण कार्य पंजाब राज्य के अमृतसर में शुरू कराया था। 

स्वर्ण मंदिर का इतिहास- लोगो का कहना है कि स्वर्ण मंदिर का सपना तीसरे सिख गुरु अमर दास जी का था। पर इस मंदिर का मुख्य कार्य पांचवें सिख गुरु अर्जुनदेव जी ने शुरू कराया था। इस स्वर्ण मंदिर को धार्मिक एकता, निष्ठा, प्रेम का प्रतीक भी माना गया है । स्वर्ण मंदिर की नींव सूफी संत मियां मीर जी के द्वारा रखी गई थी। अमृतसर के इस स्वर्ण मंदिर के चारों तरफ एक बहुत बड़ा सरोवर है जो देखने मे बहुत ही रोमांचक प्रतीत होता है। इस सरोवर को अमृत सरोवर के नाम से जाना जाता है । इस सरोवर का निर्माण कार्य अर्जुनदेव के कर कमलों द्वारा हुआ था। यह बहुत ही रोचक व ऐतिहासिक स्थान है।

स्वर्ण मंदिर की कुछ महत्वपूर्ण बातें – 

• स्वर्ण मंदिर को सिखों का एक प्रसिद्ध तीर्थ माना जाता है।

• सबसे पहली संपूर्ण गुरु ग्रंथ साहिब स्वर्ण मंदिर में स्थापित की गई है । 

• इस मंदिर में प्रवेश करने के चार द्वारा रखे गये है । 

• इस धार्मिक स्थल में संसार का सबसे बड़ा किचन है यहाँ प्रतिदिन लगभग 1 लाख लोगों के लिए निशुल्क भोजन की व्यावस्था की जाती है। यहाँ बड़े बड़े लंगर लगते है।

 • इस मंदिर परिसद मे जाने के कुछ महत्वपूर्ण नियम-

• वैसे तो स्वर्ण मंदिर में किसी भी जाति, धर्म संप्रदाय के लोग जा सकते हैं। 

स्वर्ण मंदिर में प्रवेश करते समय कुछ नियमों का ध्यान रखना अतिआवश्यक है – 

• मंदिर परिसर में जाने से पहले जूते बाहर उतारें। 

• मंदिर के अंदर धूम्रपान, मदिरा पान आदि करना वर्जित हैं। 

• मंदिर परिसर के अंदर जाते समय सर ढंका होना चाहिए।

 

 

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