'तुम्हारे ऊपर बलात्कारियों को छोड़ दें...', महिलाओं को हिजाब-बुर्का पहनाने के लिए ऐसे धमका रहा ईरान !

तेहरान: ईरान में हुए हिजाब विरोधी प्रदर्शन के कई महीनों बाद अब फिर से वहाँ ‘नैतिक पुलिस (Morality Police)’ पैट्रोलिंग करने लगी है। ईरान के लॉ इन्फोर्समेंट फोर्स के प्रवक्ता सईद मोंटाजेरालमहदी ने रविवार (17 मार्च) को बताया है कि नैतिक पुलिस अब वापस से अपने काम  में लग गई है। ये पुलिस पैदल और गाड़ियों से उन लोगों को पकड़ रहे हैं, जो इस्लामी देश में उस हिसाब से अपने आप को ढककर नहीं रखते।

रिपोर्ट के अनुसार, प्रवक्ता ने जानकारी दी है कि मोरैलटी पुलिस पहले तो चेतावनी देगी और फिर कानूनी कार्रवाई करेगी। इनसे बचने के लिए ड्रेस कोड का पालन करना अनिवार्य होगा। जैसे महिलाओं के लिए हेडस्कार्फ के साथ ढीले कपड़े पहनना अनिवार्य होगा। यदि महिलाएँ ऐसे नियमों का उल्लंघन करती हैं, तो फिर उन्हें अरेस्ट करके री-एड्यूकेशन फैसिलिटी में डाल दिया जाएगा। बता दें कि 10 महीने पहले ईरान में मोरैलटी पुलिस द्वारा पिटाई से 22 वर्षीय युवती महसा अमीनी (Mahsa Amini) की मौत हो गई थी। इस घटना के बाद पूरे देश भर में हिजाब विरोधी और सरकार विरोधी उग्र प्रदर्शन हुए थे। महिलाएं सड़कों पर हिजाब जला रहीं थी और कट्टरपंथी शासन का विरोध कर रहीं थी। जिसके कुछ महीनों तक कहीं कोई मौरैलटी पुलिस नज़र नहीं आई।

उस समय, हिजाब नियमों का उल्लंघन करने वालों को पकड़ने के लिए कैमरे लगा दिए गए थे। उनके माध्यम से निगरानी करके लोगों को चेतावनी दी जा रही थी या फिर उनपर जुर्माना लगाया जा रहा था। इसके अलावा कुछ लोगों को अदालत में भी पेश किया गया था। बता दें कि, इस्लामी मुल्क ईरान में ड्रेस कोड फॉलो करने के लिए नियम इतने सख्त हैं कि यदि कोई कार में बैठे हुए भी इनका उल्लंघन किए पाया जाता है, तो उसकी कार जब्त कर ली जाती है। इसके अलावा कैफे, रेस्टोरेंट, शॉपिंग सेंटर्स आदि पर भी कड़ी निगरानी रखी जाती है।

एक रिपोर्ट के अनुसार, इस सप्ताह हिजाब संबंधी कई हाई प्रोफाइल मामले सामने थे। ऐसे में प्रशासन ने एक वीडियो जारी किया था, जिसमे इसमें पुलिस अधिकारियों के साथ उनकी कैमरा क्रू भी शामिल था। वो महिलाओं के पास जा- जाकर हिजाब ठीक करने के लिए कह रहे थे। वीडियो में महिलाओं का चेहरा भी ब्लर नहीं किया गया था। बस एनिमेशन के मध्यम्ज से बताया जा रहा था कि उनकी शिनाख्त हो चुकी है और अब कानून कार्रवाई करेगा। प्रशासन द्वारा जारी किए गए वीडियो में कहा जा रहा था कि, या तो अपना हिजाब ठीक करो, वरना वैन में घुसो। यही नहीं, महिला से ये भी कहा जा रहा था कि, 'तुम यदि आजादी पर विश्वास रखती हो, तो हम तुम पर सारे चोर और बलात्कारियों को छोड़ देते हैं, फिर तुम समझोगी की चीजें कैसे काम करती हैं।'

इसी प्रकार ईरान में हिजाब के खिलाफ बोलने पर अभीनता मोहम्मद सादेगेही को अरेस्ट कर लिया गया था। दरअसल, उन्होंने एक महिला के साथ हो रही बदसलूकी की तस्वीर देखकर उसके खिलाफ प्रतिक्रिया दे दी थी। उन्होंने लिखा था कि, 'यदि मैं ऐसे दृश्य देखूँ तो मैं तो मर्डर कर लूँ। देखते जाओ लोग तुम्हें मार देंगे…।' उनके इसी बयान पर ईरानी पुलिस ने उन्हें अरेस्ट कर लिया। इससे पहले ईरान में एक अभिनेत्री अजादेह समादी पर 6 माह तक सोशल मीडिया इस्तेमाल करने पर बैन लगा दिया गया था। ऐसा केवल इसलिए किया गया, क्योंकि वो एक थिएटर डायरेक्टर के अंतिम शव यात्रा में बिन हेडस्कार्फ चली गई थीं।

पारसियों का देश फारस, कैसे बन गया इस्लामी राष्ट्र ईरान ?

बता दें कि, ईरान का पुराना नाम फ़ारस (Persia) है और इसका इतिहास बहुत ही नाटकीय रहा है, जिसमें इसके पड़ोस के क्षेत्र भी शामिल रहे हैं। इरानी इतिहास में साम्राज्यों की कहानी ईसा के 600 वर्ष पूर्व के हखामनी शासकों से शुरू होती है। इनके द्वारा पश्चिम एशिया तथा मिस्र पर ईसापूर्व 530 के दशक में हुई विजय से लेकर अठारहवीं सदी में नादिरशाह के भारत पर आक्रमण करने के बीच में कई साम्राज्यों ने फारस पर राज किया। इनमें से कुछ फ़ारसी सांस्कृतिक क्षेत्र के थे, तो कुछ बाहरी थे। फारसी सास्कृतिक प्रभाव वाले क्षेत्रों में आधुनिक ईरान के अलावा इराक का दक्षिणी हिस्सा, अज़रबैजान, पश्चिमी अफगानिस्तान, ताजिकिस्तान का दक्षिणी भाग और पूर्वी तुर्की भी शामिल हैं। ये सब वो इलाके हैं, जहाँ कभी फारसी शासकों ने शासन किया था और जिसके कारण उनपर फ़ारसी संस्कृति का प्रभाव पड़ा था।

सातवीं सदी में ईरान में इस्लाम ने दस्तक दी। इससे पहले ईरान में जरदोश्त (Zoroastrianism) के धर्म के अनुयायी रहते थे। लेकिन, इस्लाम की दस्तक के बाद यहाँ वो धर्म तेजी से फैला, जिन लोगों ने इस्लाम कबूल करने से मना कर दिया, तो उन्हें यातनाएँ दी गई। स्थिति ये बनी कि, पारसियों को अपना ही देश छोड़कर पलायन करना पड़ा।  इनमें से कुछ लोग भाग कर भारत के गुजरात तट पर आ गये। ये आज भी भारत में रहते हैं और इन्हें पारसी कहा जाता है। फारस, इस्लामी तो पहले ही बन चुका था, लेकिन मार्च 1935 में इसका नाम भी आधिकारिक रूप से बदलकर ईरान रख दिया गया और 1979 में ईरान में पूर्णतः शरिया कानून आधारित संविधान लागू हो गया, जिसके बाद महिलाओं की आज़ादी छीन ली गई और उनके लिए बुर्का-हिजाब जैसे कड़े नियम बना दिए गए। जो महिला बिना हिजाब या बुर्के के नज़र आती थी, उसे नैतिक पुलिस अरेस्ट कर जेल में डाल देती है। यहाँ तक कि, आज ईरान में हिजाब न पहनने पर 74 कोड़े मारने से लेकर 16 साल की जेल तक का प्रावधान है।  

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