फोर्ब्स इंडिया द्वारा जारी भारत के सबसे अमीरों की लिस्ट में बिहार के संप्रदा सिंह (43वां स्थान) ने अनिल अंबानी (45 वां स्थान) को पीछे छोड़ दिया. एक वक्त ऐसा भी था जब 3.3 बिलियन डॉलर (21 हजार 486 करोड़ रुपए) के मालिक संप्रदा सिंह का गांव के लोग मजाक उड़ाते थे. पढ़-लिखकर खेती करने आए संप्रदा सिंह को देख गांव के लोग कहते थे 'पढ़े फारसी बेचे तेल, देखो रे संप्रदा का खेल. 91 साल के संप्रदा सिंह का जन्म बिहार के जहानाबाद में एक किसान परिवार में हुआ था. गांव के लोग कहते हैं कि संप्रदा सिंह अब बिहार आते हैं तो पटना स्थित अपने घर में ही ठहरते हैं. पड़ोसी ने बताया कि संप्रदा पढ़ने में शुरू से ही काफी तेज थे. घोसी स्थित हाईस्कूल में पढ़ने के बाद उन्होंने इंटर किया और गया जाकर बीकॉम की डिग्री ली. पढ़ाई पूरी कर वो गांव आए और आधुनिक तरीके से खेती करने की कोशिश की. खेती शुरू की तो उनके सामने सबसे बड़ी परेशानी सिंचाई की आई, जिसके चलते उन्होंने वाटर पंप लोन पर लिया और उससे सब्जी की सिंचाई की. खेती न हो पाई तो संप्रदा सिंह ने एक प्राइवेट हाईस्कूल में टीचर की नौकरी कर ली. बच्चों को पढ़ाने के बाद उन्होंने यह जॉब भी छोड़ दी और पटना जाकर बिजनेस करने का फैसला किया. जहां उन्होंने छाते की दूकान शुरू की मौसमी व्यापार समझकर उन्होंने इसे भी छोड़ दिया और एक संबंधी की दवा दुकान पर काम करने लगे. व्यवहार कुशलता के चलते पीएमसीएच के डॉक्टरों से संप्रदा सिंह का अच्छा संपर्क हो गया था. उन्होंने लक्ष्मी शर्मा के साथ दवा की दुकान शुरू की और साथ ही वह हॉस्पिटल में दवा की सप्लाई भी करने लगे. किसी बहस के चलते दोनों अलग हो गए और इसके बाद संप्रदा सिंह ने अपने दोस्तों से पूंजी लेकर खुद की दुकान अल्केम फार्मा खोली जिसे वह पूरे बिहार में दवा की सप्लाई करने लगे. आखिर में वह अपने सपनों को उड़ान देने के लिए मुंबई चले गए. यहाँ उन्होंने अल्केम नाम की कंपनी बनाई और दूसरे की दवा फैक्ट्री में अपनी दवा बनवाई. डॉक्टरों से अच्छे व्यव्हार के चलते बिहार में उनका बिज़नेस चल निकला फिर यहां से उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. नवजात शिशु सप्ताह की बधाई हो…... खूबसूरती और टैलेंट का जीता जागता नमूना है मानुषी छिल्लर दोस्तों के साथ रहना और पेरेंट्स के साथ रहना, ऐसा होता है माहौल