विनेश फोगट को टिकेट मिलने के विरोध में उतरे स्थानीय नेता, कांग्रेस दफ्तर पर प्रदर्शन

चंडीगढ़: हरियाणा कांग्रेस में तब हलचल मच गई, जब जुलाना सीट से पहलवान विनेश फोगाट को टिकट दिया गया। विनेश फोगाट हाल ही में कांग्रेस में शामिल हुई थीं, और उनके नाम की घोषणा के बाद कई स्थानीय नेताओं में असंतोष देखा गया। टिकट की दौड़ में शामिल कई नेताओं ने विनेश को लेकर आयोजित कार्यक्रम से दूरी बना ली, और ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी (AICC) के दफ्तर के बाहर भी प्रदर्शन किया गया।

हरियाणा विधानसभा की 90 सीटों पर 5 अक्टूबर को मतदान होगा और 8 अक्टूबर को मतगणना। फोगाट के सम्मान में बख्ता खेड़ा गांव में आयोजित कार्यक्रम में भीड़ काफी कम थी, और जुलाना सीट के कई स्थानीय दावेदार जैसे परमिंदर सिंह धुल, धर्मेंद्र धुल, और रोहित दलाल ने इस कार्यक्रम से दूरी बनाई। इन नेताओं का मानना था कि उनके काम को नजरअंदाज कर पार्टी ने एक बाहरी उम्मीदवार को प्राथमिकता दी है। वहीं, विनेश फोगाट ने टिकट मिलने पर प्रियंका गांधी का आभार जताया, खासकर उस समय की बात का जब वह कुश्ती छोड़ने का विचार कर रही थीं। फोगाट का कहना था कि प्रियंका गांधी की प्रेरणादायक बातें सुनकर उन्होंने उम्मीद नहीं छोड़ी। उन्होंने यह भी कहा कि वह जीतें या हारें, हमेशा जनता की सेवा करेंगी।

वहीं, कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने AICC मुख्यालय के बाहर विरोध प्रदर्शन किया, जिसमें उन्होंने बाहरी लोगों को टिकट दिए जाने पर आपत्ति जताई। प्रदर्शनकारियों ने पार्टी के नियमों के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के रिश्तेदारों को टिकट दिए जाने पर भी नाराजगी जताई। हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने 32 उम्मीदवारों की पहली सूची जारी की, जिसमें विनेश फोगाट को जुलाना सीट से टिकट मिला है। लेकिन सवाल उठता है कि क्या कांग्रेस ने एक बाहरी उम्मीदवार को टिकट देकर गलती की है?

क्या विनेश फोगाट को टिकट देना कांग्रेस के लिए सही फैसला है? कई स्थानीय नेता इस फैसले से नाराज हैं, और यह असंतोष कांग्रेस के भीतर संघर्ष का संकेत हो सकता है। स्थानीय नेताओं का मानना है कि पार्टी को उन्हें प्राथमिकता देनी चाहिए थी, क्योंकि वे स्थानीय मतदाताओं के बीच अपनी पकड़ रखते हैं। बाहरी उम्मीदवार को लाने से पार्टी को जुलाना जैसे क्षेत्रों में समर्थन खोने का डर हो सकता है।

क्या हरियाणा चुनाव में पार्टी को नुकसान होगा? अगर कांग्रेस ने स्थानीय नेताओं की नाराजगी को नजरअंदाज किया, तो इसका खामियाजा पार्टी को चुनाव में भुगतना पड़ सकता है। ऐसे समय में जब हरियाणा में राजनीतिक समीकरण लगातार बदल रहे हैं, कांग्रेस के लिए आंतरिक संघर्ष और असंतोष नुकसानदेह साबित हो सकता है। यदि पार्टी इस असंतोष को दूर करने में असफल रहती है, तो यह संभव है कि चुनावी नतीजे पार्टी के अनुकूल न हों।

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