संयुक्त राष्ट्र के विश्व मौसम संगठन (डब्ल्यूएमओ) ने बताया है कि पूर्वी अफ्रीका, भारत और पाक के कुछ इलाकों में जलवायु परिवर्तन देखने को मिल सकता है. जिसके बाद टिड्डी दल का हमला खाद्य सुरक्षा के लिहाज से मुसीबत फैदा कर सकता है. वही, संयुक्त राष्ट्र की विशेष एजेंसी ने बताया कि जलवायु परिवर्तन जैसे कि रेगिस्तानी इलाकों में तापमान और वर्षा में वृद्धि हो सकती है. माना जा रहा कि उष्णकटिबंधीय चक्रवातों से जुड़ी तेज हवाएं कीट प्रजनन, विकास और प्रवास के लिए एक नया वातावरण बना देती है. देखते ही देखते भड़क उठी केलिफोर्निया के जंगलों की आग, लोगों के बीच मचा कोहराम मीडिया रिपोर्ट के अनुसार राजस्थान, एमपी और गुजरात के 2 दर्जन से ज्यादा शहरों में टिड्डियों के बड़े और घातक झुंडों ने हमला किया था. जबकि इसी वर्ष फरवरी में पाकिस्तान ने आपातकाल का ऐलान करते हुए कहा था, कि बीते दो दशकों में टिड्डियों का ऐसा हमला कभी नहीं हुआ. अमेरिका ने चीन की 11 कंपनियों पर लगाया बैन, मुस्लिमों के उत्पीड़न का आरोप इसके अलावा WHO ने नेचर क्लाइमेट चेंज के एक लेख का हवाला देते हुए बताया कि इन क्षेत्रों में रेगिस्तानी टिड्डियां प्राचीन वक्त से मौजूद हैं. किन्तु हाल ही में इनके आक्रामक होने की वजह को जलवायु परिवर्तन से जोड़कर देखा जा सकता है. इंटरगर्वनमेंटल अथॉरिटी ऑन क्लाइमेट प्रडिक्शन एंड एप्रीलेकशन सेंटर (आइसीपीएसी) के शोधकर्ता का मनाना है, कि जलवायु परिवर्तन में कोई एक कारण जिम्मेदार नहीं है. ग्लोबल वार्मिग ने टिड्डियों के विकास, प्रकोप और अस्तित्व के लिए आवश्यक परिस्थितियों पैदा कर रही है. जो चिंता का विषय है. लेख में बताया गया है कि टिड्डियों के बढ़ते प्रकोप के पीछे हिंद महासागर का गर्म होना है. तीव्र और असामान्य उष्णकटिबंधीय चक्रवातों की भूमिका और जोरदार बरसात व बाढ़ ने अहम भूमिका अदा की है. हांगकांग में कोहराम मचा सकता है कोरोना, जानकारों ने बोली चौकाने वाली बात जल्द बाजार में उपलब्ध होगी कोरोना को जड़ से मिटाने वाली दवा कोरोना पर अब तक के सबसे बड़े राहत पैकेज का ऐलान, EU देगा 64.04 लाख करोड़ रुपये