आप सभी इस बात से वाकिफ ही होंगे कि नया साल आते ही हर तरफ लोहड़ी की तैयारियां शुरू हो जाती हैं क्योंकि यह त्यौहार सभी को खूब भाता है. ऐसे में यह उत्तर भारत में मनाया जाने वाला प्रसिद्ध त्यौहार है और मकर सक्रांति के 1 दिन पहले यानि 13 जनवरी को लोहड़ी का पर्व मनाया जाता है. कहते हैं इस दिन जिस घर में लड़के की शादी, बच्चे का जन्म हुआ हो वे लोग दोस्तों और रिश्तेदारों को बुलाकर यह त्यौहार सबसे ज्यादा धूमधाम से मनाते हैं. ऐसे में इस दिन आग में मूंगफली, रेवड़ी, तिल आदि की आहूती डालकर पूजा की जाती है और लोग गिद्दा और भंगड़ा डालकर लोग खुशियां मनाते हैं. लोहड़ी का एक खास कनेक्शन पतंग से भी होता है जो मकर संक्रांति के दिन उड़ाई जाती है. जी हाँ, लोहड़ी और इसके अगले दिन यानि मकर संक्रान्ति को लोग खूब पतंग उड़ाते हैं और कई जगहों पर तो पतंगबाजी प्रतियोगिताएं भी रखी जाती हैं. पतंग उड़ाने के पीछे मान्यता है कि पतंग खुशी, उल्लास, आजादी का शुभ संदेश देते हैं और इस दिन घर में शुभ काम होने शुरू हो जाते हैं और अपनी खुशी जाहिर करने के लिए लोग पतंग उड़ाते हैं. कहा जाता है मकर संक्रान्ति की पर्व मनाने के लिए लोहड़ी वाले दिन ही लोग तैयारियां करनी शुरू कर देते हैं. आप सभी को बता दें कि खुशियों का त्यौहार लोहड़ी का स्वरूप समय के साथ धीरे-धीरे बदलता जा रहा है क्योंकि लोग पहले सिर्फ लड़के के जन्म पर ही इस फेस्टिवल को मनाते थे लेकिन आज लड़कियों को लिए भी इस शगुन को मनाया जाता है. कहते हैं लोहड़ी के दिन पहले सुबह सूर्य उदय के साथ ही पतंग उड़ाना शुरू हो जाता है. और पतंग उड़ाने के पीछे मुख्य कारण है कुछ घंटे सूर्य के प्रकाश में बिताना. कहा जाता है लोहड़ी का समय सर्दी का होता है और इस मौसम में सुबह का सूर्य प्रकाश शरीर के लिए स्वास्थवर्धक और त्वचा व हड्डियों के लिए अत्यंत लाभदायक होता है इस वजह से ऐसा किया जाता है. लोहड़ी के इन ख़ास संदेशों से दें अपनों को लख-लख वधाईयां यहाँ जानिए लोहड़ी पूजन की सही तारीख और शुभ मुहूर्त दुल्ला भट्टी के बिना अधूरा माना जाता है लोहड़ी का त्यौहार, जानिए कौन है यह