'सीएम भूपेश बघेल के आशीर्वाद से हुई सरकारी ख़ज़ाने की लूट..', छत्तीसगढ़ शराब घोटाले पर ED की रिपोर्ट, भाजपा हमलावर

रायपुर: छत्तीसगढ़ में शराब घोटाले की जाँच कर रही केंद्रीय जांच एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने विशेष PMLA कोर्ट में अभियोजन शिकायत दर्ज की है। इसमें आरोप लगाते हुए कहा गया है कि छत्तीसगढ़ के उच्च सरकारी अधिकारियों, राजनेताओं और कुछ व्यक्तियों के आपराधिक सिंडिकेट ने तकरीबन 2,161 करोड़ रुपए अवैध रूप से अपनी जेब में डाले, जो कि सरकारी खजाने में जाना चाहिए थे।

इस खुलासे के बाद भाजपा ने राज्य की कांग्रेस सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा है कि छत्तीसगढ़ में 2,161 करोड़ रुपए का शराब घोटाला यह दर्शाता है कि सीएम भूपेश बघेल से आशीर्वाद प्राप्त लोगों ने राज्य के कोष की भयंकर लूट की गई है। उन्होंने दावा करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री की जानकारी के बिना इतना बड़ा घोटाला नहीं हो सकता है। उन्होंने कहा कि, '4 जुलाई को कोर्ट में अभियोजन शिकायत दर्ज कराई गई है, जिसमें 1300 पन्नों के दस्तावेज़ के साथ पूरे विषय को विस्तार से सामने रखा गया है। छत्तीसगढ़ के आबकारी विभाग में जो शराब बिक्री होती है, जिस पर राज्य को राजस्व मिलता है। तो सिंडिकेट बनाकर 2161 करोड़ रुपए की लूट हुई है, जो सरकार को मिलनी चाहिए थी।'

क्या है छत्तीसगढ़ का शराब घोटाला:-

बता दें कि, ED ने विशेष PMLA कोर्ट में अभियोजन रिपोर्ट दाखिल की है। मंगलवार (4 जुलाई 2023) को दाखिल अभियोजन शिकायत में नामित आरोपित कांग्रेस नेता एवं रायपुर के मेयर ऐजाज़ ढेबर के भाई अनवर ढेबर (51) है। इसके साथ ही, भारतीय दूरसंचार सेवा अधिकारी अरुणपति त्रिपाठी (55), व्यवसायी त्रिलोक ढिल्लन (59) और उनके सहयोगी नितेश पुरोहित (51) एवं अरविंद सिंह (48) के भी नाम ED की शिकायत में शामिल हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, ढेबर और ढिल्लन के वकील फैजल रिजवी ने कहा है कि,  'मेरे क्लाइंट को झूठे मामले में फँसाया गया है। ED द्वारा कुर्क की गई संपत्ति को मेरे क्लाइंट ने घोटाला होने से बहुत पहले खरीदी थी। जाँच एजेंसी ने उनके कब्जे से 52 लाख रुपए जब्त किए, मगर मेरे मुवक्किल के पास उनके आयकर रिटर्न सर्टिफिकेट के मुताबिक, 97 लाख रुपए थे।' 

वहीं, ED का कहना है कि उत्पाद शुल्क विभाग में भ्रष्टाचार वर्ष 2019 में (जब भूपेश बघेल की सरकार बनी) आरम्भ हुआ था और वह साल 2022 तक जारी रहा था। एजेंसी ने आरोप लगाते हुए कहा है कि सिंडिकेट का नेतृत्व ढेबर और एक रिटायर्ड IAS अधिकारी ने किया था। इस IAS अधिकारी को अभी तक आरोपित नहीं बनाया गया है। जाँच एजेंसी का कहना है कि दोनों ने व्यवस्थित रूप से प्रदेश की शराब नीति में संशोधन किया और उसका अनुचित फायदा उठाया। शिकायत में कहा गया है कि छत्तीसगढ़ राज्य विपणन निगम लिमिटेड (CSMCL) को प्रदेश में शराब की बिक्री और गुणवत्ता को कंट्रोल करने के लिए फरवरी 2017 में बनाया गया था, मगर सिंडिकेट ने एक समानांतर उत्पाद शुल्क विभाग लागू किया।

ED ने कहा कि सिंडिकेट ने फरवरी 2019 में CSMCL की अगुवाई करने के लिए अरुणपति त्रिपाठी को चुना और मई में अनवर ढेबर के कहने पर त्रिपाठी को इसका मैनेजिंग डायरेक्टर बनाया गया। त्रिपाठी को वरिष्ठ IAS अधिकारियों का भी समर्थन प्राप्त था। ED ने आगे कहा कि त्रिपाठी की अगुवाई में CSMCL ने देशी शराब केवल उन्हीं से खरीदी, जो प्रति पेटी 75 रुपए का कमीशन दिए। इसके बदले में ढेबर ने उनकी लैंडिंग दरें बढ़ाने का वादा किया। लैंडिंग दर वह दर थी, जो CSMCL द्वारा शराब निर्माताओं को चुकाई गई।

अभियोजन की शिकायत में कहा गया है कि, 'घोटाले के हिस्से के तौर पर पहले वर्ष में प्रति माह 800 पेटी देशी शराब ले जाने वाले 200 ट्रक शराब बेचे गए और 2022-23 में यह मात्रा बढ़कर 400 ट्रक हो गई। ढेबर और रिटायर्ड IAS ने अवैध रूप से अर्जित धन का 15% हिस्सा रखा और शेष 75% राज्य के सर्वोच्च सियासी अधिकारियों के निर्देशों के मुताबिक राजनेताओं को दे दिया।' ढेबर के 3 सहयोगियों को भी विदेशी शराब बेचने का लाइसेंस मिला और बदले में उन्हें कमीशन प्रदान किया गया। इस प्रकार सिंडिकेट द्वारा अवैध रूप से 2,161 करोड़ रुपए अवैध रूप से कमाए गए, जो सरकारी खजाने में जाना चाहिए था। जाँच एजेंसी ने अब तक प्रोविजनल तौर पर 124 करोड़ रुपए जब्त किए हैं।

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