मार्गशीर्ष मास की पूर्णिमा तिथि को प्रत्येक वर्ष दत्तात्रेय जयंती मनाई जाती है। इसे दत्त जयंती के नाम से भी जाना जाता है। इस बार दत्तात्रेय जयंती आज यानी 18 दिसंबर शनिवार के दिन है। दत्तात्रेय को त्रिदेव मतलब ब्रह्मा, विष्णु एवं महेश का अवतार माना गया है। कहा जाता है कि दत्तात्रेय ने 24 गुरुओं से शिक्षा अर्जित की थी। दत्तात्रेय के नाम पर ही दत्त संप्रदाय का उदय हुआ। वैसे तो दत्त जयंती की पूरे भारत में बहुत अहमियत है, मगर दक्षिण भारत में इसकी अहमियत कहीं अधिक है क्योंकि वहां सभी लोग दत्त संप्रदाय से जुड़े हुए हैं। कहा जाता है कि भगवान दत्तात्रेय की आराधना करने से घर में सुख, समृद्धि, वैभव आदि मिलता है। दत्तात्रेय भगवान को लेकर बोला जाता है कि अगर संकट के समय में इनके भक्त सच्चे दिल से इन्हें याद करें तो ये उनकी सहायता के लिए अवश्य पहुंचते हैं। यहां जानिए दत्तात्रेय की कथा। दत्तात्रेय कथा:- एक बार महर्षि अत्रि मुनि की पत्नी अनसूया के पतिव्रत धर्म की परीक्षा लेने के लिए तीनों देव ब्रह्मा, नारायण, और महदेव पृथ्वी लोक पहुंचे। तीनों देव साधु भेष में अत्रि मुनि के आश्रम पहुंचे तथा माता अनसूया के सम्मुख भोजन की इच्छा जाहिर की। तीनों देवताओं ने शर्त रखी कि वे उन्हें निर्वस्त्र होकर भोजन कराएं। इस पर माता संशय में पड़ गईं। उन्होंने ध्यान लगाकर देखा तो समक्ष खड़े साधुओं के रूप में उन्हें ब्रह्मा, विष्णु और महेश खड़े नजर आए। माता अनसूया ने अत्रि मुनि के कमंडल से जल निकाला तथा तीनों साधुओं पर छिड़का। इसके पश्चात् तीनों ऋषि शिशु बन गए। तब माता ने देवताओं को खाना खिलाया। तीनों देवताओं के शिशु बन जाने पर तीनों देवियां (पार्वती, सरस्वती और लक्ष्मी) पृथ्वी लोक में पहुंचीं तथा माता अनसूया से क्षमा याचना की। तीनों देवों ने भी अपनी त्रुटि को स्वीकार कर लिया तथा माता की कोख से जन्म लेने का निवेदन किया। इसके पश्चात् तीनों देवों ने दत्तात्रेय के रूप में जन्म लिया। तभी से माता अनसूया को पुत्रदायिनी के तौर पर पूजा जाने लगा। खरमास के दौरान जरूर करे इन खास मंत्रों का जाप, पूरी होगी हर मनोकामना ''आध्यात्म और ज्योतिष, सरल जीवन जीने की एक कला" - शिवम अंगुरला हनुमान जी के वो 8 प्रसिद्ध मंदिर, जहां मिलेगा हर समस्या से निजात