राउरकेला : सेक्टर-3 अहिराबंध जगन्नाथ मंदिर सहित शहर व आसपास के ढाई दर्जन से अधिक जगन्नाथ मंदिरों में आस्था और परम्परा के निर्वहन हेतु अक्षय तृतीया के शुभ मुहूर्त पर महाप्रभु की रथयात्रा को लेकर रथ निर्माण का कार्य आरम्भ हो गया. बुधवार को सुबह विधि पूर्वक मंदिर के दक्षिण द्वार पर रथ में उपयोग आने वाली लकड़ी रखी गई एवं पुरोहित, सेवायत सहित समिति के लोगों की मौजूदगी में पूजा अर्चना की गई.इस अवसर पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूद थे. आपको जानकारी दे दें कि जगन्नाथ संस्कृति के अनुसार हर वर्ष महाप्रभु जगन्नाथ अपने भाई-बहन के साथ रथ पर सवार होकर मौसी मां के घर गुंडिचा मंदिर पहुंचते हैं एवं यात्रा मार्ग में भक्तों को दर्शन देते हैं. इस वर्ष स्नान पूर्णिमा 28 जून को तथा रथयात्रा 14 जुलाई को निकलेगी. इस रथ यात्रा में हजारों की संख्या में श्रद्धालु यहां पहुँचते हैं और रथ को अपने हाथों से खींचते हैं. उल्लेखनीय है कि शहर के सबसे बड़े जगन्नाथ मंदिर सेक्टर-3 में श्रीश्री जगन्नाथ वैद्यनाथ महाप्रभु मंदिर ट्रस्ट की ओर से रथ की लकड़ी का पूजन किया गया.इसमें दक्षिण द्वार में भाई बलभद्र के रथ तालध्वज, प्रभु जगन्नाथ के रथ नंदीघोष एवं सुभद्रा के रथ दर्प दलन के लिए अलग अलग लकड़ी रखकर पुरोहित परमेश्वर पति व मंटू पंडा द्वारा पूजा-अर्चना की गई. वहीं सुबह पूजक त्रिनाथ पाढ़ी से रथ निर्माण के लिए महाप्रभु का आज्ञामाला पूजा स्थल तक लाया गया. रथ निर्माण का दायित्व भिखारी स्वाईं एवं डमरू महाराणा को दिया गया .जबकि दूसरी ओर सेक्टर-3 स्थित जगन्नाथ मंदिर में अक्षय तृतीया के दिन से चंदन यात्रा शुरू हुई. शाम साढ़े सात बजे से पुष्कर पर गोपाल, भू-देवी, श्रीदेवी को नौका पर विराजमान कर विहार कराया गया. यह आयोजन यहां 21 दिनों तक चलेगा. यह भी देखें बीजद में जाएंगे अरुप पटनायक भूखे रहे जगन्नाथ