नई दिल्ली: लव जिहाद के खिलाफ उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, गुजरात, मध्य प्रदेश सहित 8 राज्यों में बने कानूनों को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सर्वोच्च न्यायालय में सुनवाई टल गई है। अब शीर्ष अदालत 3 फरवरी को इस मामले में सुनवाई करेगा। सुनवाई आरंभ होते ही सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि इन याचिकाओं पर ट्रांसफर याचिका अभी सूचीबद्ध नहीं हुई है। इसलिए सभी याचिकाओं पर एक साथ शुक्रवार को सुनवाई करेंगे। एक याचिकाकर्ता ने कई राज्यों के जवाब दायर नहीं किए जाने पर कहा कि यह बेहद गंभीर स्थिति है। राज्यों को आगे आकर जल्द अपना जवाब दाखिल करना चाहिए। जमीयत उलमा ए हिंद ने इन कानूनों से संबंधित विभिन्न हाई कोर्ट्स में लंबित 21 याचिकाओं को भी सुनवाई के लिए शीर्ष अदालत में ट्रांसफर करने की मांग की है। धर्मांतरण के खिलाफ 8 राज्यों द्वारा बनाए गए कानूनों के मामले पर देश में कई उच्च न्यायालयों में लंबित याचिकाओं पर प्रधान न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि हम शुक्रवार को मामले पर सुनवाई करेंगे। तभी ट्रांसफर वाली याचिकाओं पर नोटिस जारी करने पर भी विचार करेंगे। इस मामले में जमीयत उलमा ए हिंद के वकील एमआर शमशाद हैं, वहीं समाजवादी पार्टी (सपा) के राज्यसभा सांसद और पेशे से वकील कपिल सिब्बल भी लव जिहाद पर बने कानूनों का विरोध कर रहे हैं। वहीं, याचिकाकर्ता ने कहा है कि राज्यों द्वारा बनाए गए कानून, मुस्लिम पर्सनल लॉ के आड़े आ रहे हैं। यह बेहद अजीब स्थिति है। दो अलग धर्म के जिन लोगों ने आपसी सहमति से शादी की है, वो सीधे तौर पर प्रभावित हो रहे हैं। अभाव, दबाव या प्रभाव का इस्तेमाल कर गैर कानूनी तरीके से धर्मांतरण/लव जिहाद के खिलाफ उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश,उत्तराखंड, गुजरात, मध्य प्रदेश, हरियाणा, झारखंड और कर्नाटक ने भी अब तक कानून बनाए हैं। बता दें कि, पिछली सुनवाईयों के दौरान शीर्ष अदालत ने दबाव या प्रभाव डालकर धर्मांतरण को देश और लोकतंत्र के लिए गंभीर खतरा बताया था। अब शिकायतों के लिए नहीं लगाने होंगे सरकारी दफ्तरों के चक्कर, संभव पोर्टल पर होगा हर समस्या का समाधान जमीन विवाद के बीच सीएम ममता ने अमर्त्य सेन को दी Z+ सिक्योरिटी गोरखपुर मंदिर पर हमला करने वाले अहमद मुर्तजा को आज सजा सुनाएगी NIA कोर्ट