भारत देवभूमि कही जाती है। यहाॅं कदम - कदम पर विभिन्न देवी देवताओं के अवतारों और उनकी लीलाओं का वर्णन मिलता है। बात जब नवरात्रि की हो तो फिर देवी की स्तुति से कैसे बचा जा सकता है। यूॅं तो आदि शक्ति माॅं परम्बा ने 9 मुख्य स्वरूपों में अपनी शक्तियों का विस्तार किया है लेकिन देवी विभिन्न रूपों और स्वरूपों में अपने श्रद्धालुओं के बीच मौजूद हैं। मान्यता के अनुसार कहीं माता ने आदि काल में माता सती की देह के विभिन्न स्थलों पर गिरने के बाद शक्तिपीठ के तौर पर अपनी शक्ति की मौजूदगी से वह स्थल पवित्र कर दिया। तो दूसरी ओर कुछ ऐसे चमत्कारिक मंदिर हैं जहाॅं दर्शन मात्र से श्रद्धालुओं को कई जन्मों का पुण्यलाभ प्राप्त होता है। ऐसे ही मंदिरों में एक है शाजापुर जिले में स्थित नलखेड़ा क्षेत्र का श्री माॅं बगलामुखी मंदिर। मंदिर के परिक्षेत्र में आते ही हमें पीतांबरधारी पंडित, साधु पुरूष और अन्य श्रद्धालु नज़र आने लगते हैं। इसके बाद पाॅंव माॅं बगलामुखी मंदिर की ओर खुद ब खुद चल पड़ते हैं। यह स्थल तांत्रिक पूजन के लिए महत्वपूर्ण है। महत्वपूर्ण बात यह है कि माता यहाॅं पर स्वयंभू स्वरूप में विराजमान हैं। यह महाभारत कालीन मंदिर कहा जाता है। माता शक्ति को बगलामुखी कहने का कारण है कि माता की शक्तियाॅं के चेहरे बगुले के समान नज़र आते हैं। माता बगलामुखी की साधना बेहद फलकारी होती है लेकिन तंत्रोक्त साधना बेहद कठिन होती है। मगर माता अपने भक्तों के केवल हाथ जोड़कर मंदिर में पहुॅंचने मात्र से प्रसन्न होती हैं। माता का एक अन्य मंदिर मध्यप्रदेश के ही दतिया जिले में मौजूद है। इसे प्रसिद्ध शक्तिपीठों में से एक मंदिर माना जाता है। इसे माॅं पीताम्बरा पीठ कहा जाता है। इसका कारण है कि माता को पीले रंग के परिधान पहनती हैं। यहाॅं माता धूमावती देवी का मंदिर है। माना जाता है कि पीतांबरा पीठ की स्थापना एक संत ने की थी। उन्होंने इस क्षेत्र में पूजन विधान का वर्णन भी किया था। यहाॅं लोग मुकदमों में जीत को लेकर दर्शन करने आते हैं। माता ने अपने एक हाथ में राक्षस की जीव्हा, एक हाथ में गदा, एक में पाश, एक हाथ में वज्र धारण किया हुआ है। माता मंदिर में पहुॅंचने वाले श्रद्धालुओं के कष्टों को दूर करती हैं। फेस्टिव लुक में ये एक्ट्रेस लग रही हैं काफी गॉर्जियस, देखिये फोटोज दुर्गा का छठा स्वरुप 'माँ कात्यायनी ' रावण - मेघनाद के पुतलों के दहन पर, आदिवासियों का विरोध