कुरुक्षेत्र में गिरी थी मातारानी की एड़ी, आज कहलाता है भद्रकाली पीठ

नवरात्रि का पर्व चल रहा है और इस पर्व के दौरान माता रानी के बारे में अधिक से अधिक लोग पढ़ना पसंद करते हैं। ऐसे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं मातारानी के शक्तिपीठों के बारे में। जी दरअसल हरियाणा के कुरुक्षेत्र जंक्शन के निकट द्वैपायन सरोवर के पास स्थित है माता का यह शक्तिपीठ, जिसे श्रीदेवीकूप (भद्रकाली पीठ के नाम से जाना जाता है।) आप सभी को पता होगा कि कुरुक्षेत्र वही धरती है जहाँ पर कौरवों एवं पांडवों के बीच धर्म युद्ध हुआ था, जिसमें पांडव विजयी हुए।

जी हाँ और कहा जाता है कि यहाँ पर पांडवों ने महाभारत युद्ध से पूर्व विजय की कामना से माँ काली की उपासना की थी और विजय के पश्चात् स्वर्ण का अश्व चढ़ाया था। जी हाँ और आज भी यह प्रथा है कि भक्त यहाँ पर स्वर्ण का तो नहीं, किंतु काठ का घोड़ा चढ़ाते हैं। जी दरअसल पौराणिक आख्यान के अनुसार जब श्री विष्णु ने माता के शरीर का विच्छेदन किया था, तब यहां माता की एड़ी का निपात हुआ था।

इस शक्तिपीठ की शक्ति ‘सावित्री’ और भैरव ‘स्थाणु’ कहलाते हैं। देविकूप भद्रकाली मंदिर को सावित्री पीठ, देवी पीठ, कालिका पीठ या आदी पीठ भी कहा जाता है। आपको बता दें कि नवरात्रि के दौरान यहाँ की सजावट देखने लायक होती है। यहाँ का दृश्य कमाल होता है और हज़ारों की संख्या में लोग यहाँ आते हैं। ऐसी मान्यता है कि जो भी भक्त सच्चे मन से माता का दर्शन-पूजन करने आते हैं, माता उनकी मनोकामना पूर्ण करती हैं, मनोकामना पूर्ण होने पर यहाँ श्रद्धालु सोने, चांदी व मिट्टी के घोड़े चढ़ाते हैं।

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