आप सभी को बता दे कि आज चैत्र नवरात्रि का सातवां दिन है. जी हाँ, चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को मां कालरात्रि की पूजा करने का विधान है और मां दुर्गा के सातवीं स्वरूप और चार भुजाओं वाली मां कालरात्रि असुर रक्तबीज का संहार करने के लिए उत्पन्न हुई थीं. आप सभी को बता दें कि मां कालरात्रि को शुभंकरी भी कहते हैं और आज हम आपको बताने जा रहे हैं माँ का कवच और सबसे बड़ा मंत्र. मां कालरात्रि का मंत्र एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता, लम्बोष्टी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी. वामपादोल्लसल्लोहलताकण्टकभूषणा, वर्धनमूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयङ्करी॥ कवच ॐ क्लींमें हदयंपातुपादौश्रींकालरात्रि. ललाटेसततंपातुदुष्टग्रहनिवारिणी॥ रसनांपातुकौमारी भैरवी चक्षुणोर्मम कहौपृष्ठेमहेशानीकर्णोशंकरभामिनी. वíजतानितुस्थानाभियानिचकवचेनहि. तानिसर्वाणिमें देवी सततंपातुस्तम्भिनी॥ सावधानी – जी दरअसल कहते हैं क‌ि नवरात्र में सप्तमी अष्टमी की रात मह‌िलाओं को अपने बालों को खुला नहीं रखना चाह‌िए. बच्चों को भी आज की रात नजर दोष से बचाने वाले टोटके कर लेना चाह‌िए. वैसे यह सारी बातें मान्यताओं की है. यहाँ जानिए कैसे पड़ा था माँ दुर्गा का नाम माँ भगवती नवरात्र के शेष 2 दिन में जरूर करें तन्त्रोक्तं देवीसूक्तम्‌ का पाठ जानिए क्या है माँ दुर्गा का असली नाम और उनकी अनोखी कथा