नवरात्रि के सातवें दिन ऐसे करें मां कालरात्रि की पूजा

आप सभी को बता दें कि आज नवरात्रि का सांतवा दिन हैं और आज का दिन माँ कालरात्रि के रूप में जाना जाता है. कहते हैं इनका रंग घने अंधकार की तरह काला है इसलिए इन्हें कालरात्रि के नाम से पुकारा जाता है. इसी के साथ यह भी कहा जाता है कि इनकी आराधना भक्तों को निर्भय होने का वरदान देती है और इन्हें शुभंकरी भी कहते हैं क्योंकि ये भक्तों को हमेशा शुभ फल देती हैं. आइए जानते हैं देवी का स्वरूप.

देवी का स्वरूप - कहते हैं कि माता कालरात्रि के तीन नेत्र हैं और उनकी सांसों से आग निकलती है. वह गधे पर विराजमान होती हैं और वह अपने ऊपर की तरफ उठे हुए दाएं हाथ से भक्तों को आशीर्वाद देती हैं तथा दाहिनी तरफ का नीचे वाला हाथ अभय मुद्रा में है, यानी ये भक्तों को इस बात की प्रेरणा देता है कि हमेशा बिना डरे रहें. इसी तरह बाईं तरफ के ऊपर वाले हाथ में लोहे का कांटा तथा नीचे वाले हाथ में तलवार है. कहा जाता है इनके बाल बिखरे हुए हैं और गले में बिजली की तरह चमकने वाली माला है जो बहुत सुशोभित होती है. यह भी कहते हैं कि यह काल से रक्षा करने वाली शक्ति है और इनकी उपासना फलदायक होती है.

पूजन विधि- इनके पूजन के लिए दीपक-धूप जलाकर लाल फूल, नारियल या बेसन के लड्डू, केले, लाल चुनरी चढ़ाएं. मां को गुड़ और नारियल से बने पकवान या गुड़ की बनी रेवड़ी चढ़ाएं और फिर लाल तिकोना झंडा मां को अर्पित करने के बाद अपने घर की छत पर फहरा दें. इसके बाद नारियल के लड्डू का भोग लगाकर लोगों को प्रसाद बांटें. इसी के साथ आप माता कालरात्रि को चांदी का त्रिशूल चढ़ाएं और अपने पूजाघर में रख लें.

बीजमंत्र-

एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता, लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी.

वामपादोल्लसल्लोहलताकण्टकभूषणा, वर्धनमूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयंकरी.

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