माँ कात्यायनी के ध्यान मंत्र और स्त्रोत जाप से पाएं आशीर्वाद

नवरात्रि का पर्व बहुत ही धूम धाम से मनाया जाता है। वैसे कल यानी 22 अक्टूबर को नवरात्रि का छठवां दिन है और इस दिन आदिशक्ति श्री दुर्गा के छठे रूप कात्यायनी की पूजा-अर्चना का विधान है।कहते हैं महर्षि कात्यायनी की तपस्या से प्रसन्न होकर आदिशक्ति ने उनके यहां पुत्री के रूप में जन्म लिया था और इसी वजह से वह कात्यायनी कहलाती हैं।

आप सभी को हम यह भी बता दें कि माता कात्यायनी की उपासना से आज्ञा चक्र जाग्रति की सिद्धियां साधक को स्वयंमेव प्राप्त हो जाती हैं। जी दरअसल जो उनकी भक्ति करता है वह इस लोक में स्थित रहकर भी अलौकिक तेज और प्रभाव से युक्त हो जाता है तथा उसके रोग, शोक, संताप, भय आदि सर्वथा विनष्ट हो जाते हैं। अब आज हम आपको बताने जा रहे हैं माता के स्त्रोत और ध्यान मंत्र। कहते हैं इन दोनों के जाप करने से माँ को खुश किया जा सकता है। वह खुश हो जाती हैं तो सब कुछ मंगल हो जाता है। 

ध्यान - वन्दे वांछित मनोरथार्थ चन्द्रार्घकृत शेखराम्। सिंहरूढ़ा चतुर्भुजा कात्यायनी यशस्वनीम्॥ स्वर्णाआज्ञा चक्र स्थितां षष्टम दुर्गा त्रिनेत्राम्। वराभीत करां षगपदधरां कात्यायनसुतां भजामि॥ पटाम्बर परिधानां स्मेरमुखी नानालंकार भूषिताम्। मंजीर, हार, केयूर, किंकिणि रत्नकुण्डल मण्डिताम्॥ प्रसन्नवदना पञ्वाधरां कांतकपोला तुंग कुचाम्। कमनीयां लावण्यां त्रिवलीविभूषित निम्न नाभिम॥

  स्तोत्र पाठ - कंचनाभा वराभयं पद्मधरा मुकटोज्जवलां। स्मेरमुखीं शिवपत्नी कात्यायनेसुते नमोअस्तुते॥ पटाम्बर परिधानां नानालंकार भूषितां। सिंहस्थितां पदमहस्तां कात्यायनसुते नमोअस्तुते॥ परमांवदमयी देवि परब्रह्म परमात्मा। परमशक्ति, परमभक्ति,कात्यायनसुते नमोअस्तुते॥

माँ कात्यायनी उपासना मंत्र –  चन्द्रहासोज्ज्वलकरा शार्दूलवरवाहना।

कात्यायनी शुभं दद्याद्देवी दानवघातिनी॥

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