आप सभी जानते ही होंगे इस समय चैत्र नवरात्रि का पर्व चल रहा है और आज इस पर्व का आखिरी यानी नौवा दिन है। ऐसे में हम आप सभी को बता दें कि आज राम नवमी है और आज के दिन श्री राम के पूजन के साथ माँ दुर्गा के अंतिम रूप सिद्धिदात्री का पूजन किया जाता है। अब आज हम आपको बताने जा रहे हैं माँ सिद्धिदात्री के मंत्र, उनकी स्तुति मंत्र, उनके ध्यान मंत्र, उनका कवच और उनका स्त्रोत पाठ। माँ सिद्धिदात्री के मंत्र- * ह्रीं क्लीं ऐं सिद्धये नम:। * ओम देवी सिद्धिदात्र्यै नमः। * सिद्ध गन्धर्व यक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि। सेव्यमाना सदा भूयात् सिद्धिदा सिद्धिदायिनी। * अमल कमल संस्था तद्रज:पुंजवर्णा, कर कमल धृतेषट् भीत युग्मामबुजा च। मणिमुकुट विचित्र अलंकृत कल्प जाले; भवतु भुवन माता संत्ततम सिद्धिदात्री नमो नम:। मां सिद्धिदात्री की स्तुति- या देवी सर्वभू‍तेषु माँ सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः। मां सिद्धिदात्री का ध्यान मंत्र- वन्दे वांछित मनोरथार्थ चन्द्रार्घकृत शेखराम। कमलस्थितां चतुर्भुजा सिद्धीदात्री यशस्वनीम॥ स्वर्णावर्णा निर्वाणचक्रस्थितां नवम दुर्गा त्रिनेत्राम। शख, चक्र, गदा, पदम, धरां सिद्धीदात्री भजेम॥ पटाम्बर,परिधानां मृदुहास्या नानालंकार भूषिताम। मंजीर, हार, केयूर, किंकिणि रत्नकुण्डल मण्डिताम॥ प्रफुल्ल वदना पल्लवाधरां कातं कपोला पीनपयोधराम। कमनीयां लावण्यां श्रीणकटि निम्ननाभि नितम्बनीम॥ स्तोत्र पाठ कंचनाभा शखचक्रगदापद्मधरा मुकुटोज्वलो। स्मेरमुखी शिवपत्नी सिद्धिदात्री नमोस्तुते॥ पटाम्बर परिधानां नानालंकारं भूषिता। नलिस्थितां नलनार्क्षी सिद्धीदात्री नमोअस्तुते॥ परमानंदमयी देवी परब्रह्म परमात्मा। परमशक्ति, परमभक्ति, सिद्धिदात्री नमोअस्तुते॥ विश्वकर्ती, विश्वभती, विश्वहर्ती, विश्वप्रीता। विश्व वार्चिता विश्वातीता सिद्धिदात्री नमोअस्तुते॥ भुक्तिमुक्तिकारिणी भक्तकष्टनिवारिणी। भव सागर तारिणी सिद्धिदात्री नमोअस्तुते॥ धर्मार्थकाम प्रदायिनी महामोह विनाशिनी। मोक्षदायिनी सिद्धीदायिनी सिद्धिदात्री नमोअस्तुते॥ कवच ओंकारपातु शीर्षो मां ऐं बीजं मां हृदयो। हीं बीजं सदापातु नभो, गुहो च पादयो॥ ललाट कर्णो श्रीं बीजपातु क्लीं बीजं मां नेत्र घ्राणो। कपोल चिबुको हसौ पातु जगत्प्रसूत्यै मां सर्व वदनो॥ रामनवमी के दिन मनोकामना पूर्ति के लिए करें यह उपाय 10 अप्रैल को है राम नवमी, जरूर करें श्री राम चालीसा का पाठ शत्रु से लेकर असाध्य रोग तक हर मनोकामना के लिए है हनुमान जी के अलग-अलग मंत्र