हिंदू धर्म में मां दुर्गा के भक्तों के लिए नवरात्रि का समय बहुत खास माना जाता है। जी हाँ और इस समय शारदीय नवरात्रि का पर्व चल रहा है। कहा जाता है इन दिनों में मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा-अर्चना की जाती है। जी हाँ, आज यानी 30 सितंबर को मां दुर्गा के पांचवें स्वरूप यानि मां स्कंदमाता की पूजा करते हैं। जी दरअसल शास्त्रों के मुताबिक स्कंदमाता नकारात्मक ऊर्जा को खत्म करती है, और आपके जीवन में सुख समृद्धि और खुशी देती हैं। कहा जाता है मां स्कंदमाता अपने भक्तों पर से बहुत प्यार करती हैं और मां दुर्गा के पाचंवें स्वरूप का स्मरण करने से भक्तों के सभी असंभव काम संभव हो जाते हैं। अब हम आपको बताते हैं मां स्कंदमाता की कथा। मां स्कंदमाता की कथा- शास्त्रों के मुताबिक तारकासुर नाम के असुर ने भगवान ब्रह्मा को खुश करने के लिए तपस्या की। असुर की कठोर तपस्या से खुश होकर ब्रह्मा जी उसके सामने आए। जिसके बाद राक्षस ने उनसे अमृत का वरदान मांगा। जिसके बाद ब्रह्मा जी ने असुर तारकासुर को समझाया कि जन्म लेने वाले को मरना भी होता है। इसके बाद असुर ने सोचा की शिव जी कभी शादी नहीं करेंगे। ऐसे में उसने ब्रह्मा जी से शिवजी के बेटे के हाथों मरने का वरदान मांगा। ब्रह्मा जी ने असुर को वरदान दे दिया। वरदान मिलने के बाद असुर ने आम लोगों पर अपना प्रकोप बरसाना शरू कर दिया। असुर के अत्याचार से परेशान होकर लोगों से शिवजी से असुर के प्रकोप से उन्हें बचाने की प्रार्थना की। जिसके बाद भगवान शिवजी ने मां पार्वती से शादी की, और कार्तिकेय का जन्म हुआ। भगवान शिव के बेटे कार्तिकेय ने बड़ा होने के बाद राक्षस तारकासुर का वध कर लोगों को उसके प्रकोप से बचाया। जिसके बाद भगवान स्कंद यानि कार्तिकेय की माता होने के कारण उन्हें स्कंदमाता कहकर बुलाया जाता है। पश्चिम बंगाल में स्थित है मंगल चंडिका शक्तिपीठ, जानिए इसके बारे में पश्चिम बंगाल में स्थित हैं माता के कई शक्तिपीठ, यहाँ जानिए सबके बारे में गुजरात को हज़ारों करोड़ों की सौगात देंगे पीएम मोदी, इन परियोजनाओं का करेंगे उद्घाटन