महिला बस ड्राइवर और कंडक्टर के बारे में तो आपने अवश्य सुना होगा. किन्तु आज हम आपको जिस महिला बस कंडक्टर की दास्ताँ बता रहे हैं, उनके जीवन की मुश्किलों ने उन्हें और भी प्रेरणादायी और महान बना दिया. हम बात कर रहे हैं, मध्य प्रदेश के डिंडौरी जिले की पहली महिला बस कंडक्टर सरोज राय की. जिन्होंने जिंदगी की हर मुश्किल का डटकर सामना करते हुए 17 सालों तक इस काम को जिम्मेदारी से निभाया और दुनिया के सामने नई मिसाल पेश की. सरोज बताती हैं कि जब उनकी आयु मात्र 2 साल की थी, तब ही उनकी मां का देहांत हो गया. बचपन में पिता ने पाला, किन्तु 16 साल की आयु में ही उनका जबरन एक शराबी लड़के से ब्याह करा दिया. वह अपने शराबी पति की हरकतों से तंग रहने लगीं और परेशान होकर विवाह के कुछ ही दिनों बाद उसे छोड़कर मायके आ गईं. पति का साथ छूटने के बाद सरोज अकेली तो हो गई, किन्तु उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और तमाम मुसीबतों का सामना करते हुए बस स्टेंड पर अंडे की दुकान खोल दी. दुकान तो सफल न हो सकी, लेकिन सरोज अब कुछ करने का मन बना चुकी थी और फिर उन्होंने यात्री बसों में बुकिंग एजेंट बनने का फैसला किया. बीते 17 वर्षों से सरोज बुकिंग एजेंट (कंडक्टर) के रूप में काम कर रहीं हैं. सरोज अपने पति के पास न रहते हुए, अपने मायके में रहतीं हैं और इतने सालों से आत्मनिर्भर होकर जी रहीं हैं. आज सरोज देशभर की ऐसी लाखों महिलाओं के लिए प्रेरणास्त्रोत बन चुकी हैं, जो समाज और अपनों की प्रताड़ना झेलकर हिम्मत हार जाती हैं। आपको सलाम है सरोज, आप खूब तरक्की करो और आपका जीवन सुखमय हो, ईश्वर से यही कामना। पेट्रोल-डीज़ल की बढ़ती कीमतों पर लगा ब्रेक, जानें अपने शहर के भाव आईडीएफसी फर्स्ट ने कहा- "RBI के लिए रिवाइवल की मांग..." बाजार परिचालन के तहत सरकारी प्रतिभूतियों की बिक्री के लिए आरबीआई करेगा ये काम