मध्यप्रदेश चुनाव: ताप्ती के किनारे बसे होने के बाद भी प्यासा है बुरहानपुर, अब पानी ही तय करेगा प्रत्याशियों की किस्मत

बुरहानपुर: सूर्य पुत्री ताप्ती के तट पर बसा होने के बाद भी बुरहानपुर शहर अब तक प्यास से व्याकुल है. यहां के बाशिंदों को पेयजल के लिए नदी की एक बूंद तक नसीब नहीं होती है, लंबे समय से यहां के रहवासियों को पानी देने का मुद्दा चुनावों में उठता रहा है लेकिन प्रत्याशी जीतने के बाद पलटकर न तो नदी के पानी को देखते हैं और न ही यहां के लोगों की दुर्दशा को.

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बुरहानपुर की लाखों की आबादी ट्यूबवेल के पानी पर आश्रित है, वह भी गर्मियों में ख़त्म हो जाता है, 48-49 डिग्री वाले तापमान में पानी के लिए यहां हर वर्ष यहाँ हाहाकार मचता है. हर बार की तरह इस बार भी बुरहानपुर में ताप्ती का पानी, पावरलूम बुनकर, किसान और उद्योग ही चुनाव के प्रमुख मुद्दे हैं. ताप्ती के पानी को लेकर करीब 150 करोड़ की जलावर्धन योजना सहित हजारों करोड़ की ताप्ती मेगा रिचार्ज योजना पर भी काम चल रहा है लेकिन ताप्ती का पानी लोगों के घरों में कब पहुंचेगा, इसका जवाब कोई नहीं दे रहा है.

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भाजपा-कांग्रेस सहित अन्य राजनीतिक दलों ने अपनी घोषणा पत्र में इसका जिक्र जरूर है. बुरहानपुर के मतदाताओं को साधने के लिए भाजपा-कांग्रेस सहित निर्दलीय प्रत्याशी भी पूरा जोर लगा रहे हैं. भाजपा प्रत्याशी अर्चना चिटनीस, कांग्रेस प्रत्याशी रविंद्र महाजन एवं निर्दलीय प्रत्याशी सुरेंद्रसिंह ठाकुर के बीच यहां टक्कर का मुक़ाबला होने की सम्भावना है. अब देखना ये है कि क्या इस बार के चुनाव के बाद बुरहानपुर की प्यास बुझती है या फिर हर बार की तरह शहर को निराशा हाथ लगती है. 

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