भोपाल: लहरविहीन मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान मतदाताओं को लुभाने के लिए प्रत्याशियों ने एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया। जानकारी के अनुसार बता दें कि प्रदेश की 230 सीटों में से करीब ढाई दर्जन हाईप्रोफाइल सीटें ऐसी भी हैं, जिन्हें आयकर विभाग ने अपने राडार पर रखा है। इसके साथ ही बता दें कि इन सीटों पर भाजपा, कांग्रेस, बसपा और सपा के अलावा कुछ निर्दलीय प्रत्याशियों ने चुनावी जीत के लिए हरसंभव जतन किए हैं। राजस्थान चुनाव: एससी/एसटी वोटबैंक बना कांग्रेस-भाजपा के सामने चुनौती वहीं बता देें कि मतदाताओं को रिझाने वाले संसाधनों का भरपूर उपयोग किया गया और हाईप्रोफाइल सीटों में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सहित उनके मंत्रिमंडल के कद्दावर मंत्रियों के और कुछ अन्य प्रतिष्ठापूर्ण क्षेत्र भी शामिल हैं। यहां बता दें कि विधानसभा चुनाव का मतदान भले ही हो गया हो पर आयकर विभाग की नजर उन ढाई दर्जन चुनिंदा सीटों के साथ अन्य प्रतिष्ठापूर्ण मुकाबलों पर बनी हुई है, जहां जमकर वैभव का प्रदर्शन हुआ। इसके साथ ही बता दें कि विभाग अब संबंधित प्रत्याशियों के चुनावी खर्च का आकलन करने के बाद मामले में अपनी आगामी कार्रवाई शुरू करेगा। रेस्क्यू में चल रही राजे को अब कोई नहीं बचा सकता : गहलोत वहीं विभाग का कहना है कि प्रत्याशियों ने यदि अपनी हैसियत से ज्यादा खर्च किया तो उनसे पूछताछ भी हो सकती है। साथ ही विभाग इसके लिए प्रत्याशियों के खर्च का ब्योरा, पर्यवेक्षकों की रिपोर्ट और अपने खुफिया विंग की सूचनाओं का परीक्षण भी करेगा। यहां बता दें कि प्रदेश के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय ने भी चुनाव के दौरान करीब 60 सीटों को आर्थिक दृष्टिकोण से संवेदनशील मानकर निगरानी कराई थी। आचार संहिता लगने के बाद वोट डलने 28 नवंबर तक प्रदेश के सभी जिलों से करीब 30 करोड़ रुपए की नकदी भी जब्त हुई है। खबरें और भी मतगणना से पहले बुलाई जा रही शिवराज केबिनेट बैठक विवादों में राजस्थान चुनाव: भीम सेना कर रही कांग्रेस के लिए प्रचार म.प्र कांग्रेस ने चुनाव आयोग को लिखा पत्र, मांगी EVM की जानकारी