भोपाल: प्रदेश में रिकॉर्ड मतदान 74.85 फीसदी ने ब्यूरोक्रेसी को भी गफलत में डाल दिया है। जानकारी के अनुसार बता दें कि ट्रेंड को समझने में माहिर अफसरों के मतदान के बाद हाव-भाव से ही पता चल जाता था, लेकिन इस बार ऐसा नहीं है। यहां बता दें कि राजनीतिक पंडित अपने-अपने दावे कर रहे हैं, लेकिन अफसर मौन हैं। इसके साथ ही कर्मचारी कह रहे हैं कि वक्त है बदलाव का। राजस्थान चुनाव: कांग्रेस राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रमोद तिवारी ने कहा- जनता जैसा दूल्हा चाहेगी वैसा ही मिलेगा यहां बता दें कि मंत्रालय सहित राजधानी के तमाम सरकारी भवनों में बैठे वरिष्ठ अफसर चुनावी गणित को सुलझाने में लगे हैं। वे तय नहीं कर पा रहे हैं कि प्रदेश में रिकॉर्ड मतदान सरकार की योजनाओं का नतीजा है या जनता की नाराजगी का। वहीं कहा जाता है कि अफसर मतदान के बाद आकलन कर पैंतरे बदल लेते हैं। वे परिणाम आने का इंतजार किए बगैर जमावट में जुट जाते हैं, लेकिन इस बार ऐसा नहीं है। अफसरों को भी समझ नहीं आ रहा है कि किसे साधें और किसे छोड़ें। राजस्थान चुनाव: इतिहास बदलने के लिए भाजपा ने अपनाया ये अचूक तरीका गौरतलब है कि देश की जनता को इस बार सरकार चुनने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। वहीं उधर अपनी मांगों और अपने प्रति सरकार के व्यवहार से नाराज कर्मचारी साफ कह रहे हैं कि वक्त बदल रहा है। वहीं कर्मचारियों का कहना है कि प्रदेश में रिकॉर्ड मतदान का कारण आक्रोश है और यह आक्रोश भाजपा के खिलाफ है। वे कहते हैं कि प्रदेश में 12 फीसदी कर्मचारी मतदाता हैं, जिनमें से 70 फीसदी ने विरोध दर्ज कराया है। इसके अलावा कर्मचारियों का यह भी दावा है कि परिणाम पर किसान और व्यापारी वर्ग की नाराजगी भी दिखाई देगी। उनके लिए योजनाएं बनीं, लेकिन फायदा बिचौलिए उठा ले गए। खबरें और भी मध्यप्रदेश चुनाव: बाबूलाल गौर ने कहा- बहू को टिकट दिलाने में कांग्रेस ने की मदद मध्यप्रदेश चुनाव: वोट डालने में पिछड़े प्रदेश के शहर, 80% मतदान का लक्ष्य रहा दूर राजस्थान चुनाव: पहली बार विधानसभा चुनाव में उतरे सचिन पायलट को यूनुस खान से मिलेगी कड़ी टक्कर