मध्यप्रदेश: कर्जमाफ़ी में हुआ बड़ा खुलासा, किसान बोले- हमने तो लिया ही नहीं ऋण

भोपाल: मध्य प्रदेश के ग्वालियर जिले में किसान ऋण माफी की प्रक्रिया का आगाज़ होते ही 76 कृषि साख सहकारी समितियों में हुए घोटालों की पोल खुलने लगी हैं. समितियों की तरफ से जब पंचायत पर ऋणदाताओं की लिस्ट चस्पा की गई, तो कई ऐसे किसानों के नाम सामने आए, जिन्होंने कर्ज लिया ही नहीं है, लेकिन फिर भी वे कर्जदार हैं. 

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किसानों ने जिला सहकारी केंद्रीय बैंक की शाखा व समितियों में जाकर आपत्ति व्यक्त की है. किसानों का कहना है कि जब उन्होंने बैंक से कर्ज लिया ही नहीं है तो कैसी कर्जमाफी ? उल्लेखनीय है कि जिला सहकारी केंद्रीय बैंक की तरफ से किसानों को फसल के लिए कर्ज साख सहकारी समितियों के जरिए दिया जाता है. गत दस वर्षों में बिना कागजी कार्रवाई किए 120 करोड़ का फर्जी कर्ज दिया गया था. साल 2010 में कर्ज वितरण घोटाला सामने आया था, किन्तु तत्कालीन भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार में जान पहचान होने से आरोपी बचते रहे. चुनाव से पहले पूर्व विधायक बृजेंद्र तिवारी ने सहकारी बैंक में हुए घोटाले का मुद्दा उठाया, इसके लिए उन्होंने किसान आंदोलन भी किया. प्रशासन ने घोटालेबाजों के विरुद्ध कार्रवाई का आश्वासन भी दिया, लेकिन फिर भी को कार्रवाई नहीं हुई.

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इस बार के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने किसान कर्जमाफ़ी का वादा किया और सत्ता में आने के बाद सर्व प्रथम किसानों की कर्ज माफी को मंजूरी दी. अब कर्जमाफी की प्रक्रिया आरम्भ हो चुकी है, पंचायत स्तर पर कर्जदारों की लिस्ट चस्पा की गई है. इसमें ऐसे किसानों के नाम प्रकाश में आए हैं, जिन्होंने कर्ज लिया ही नहीं. अब ये किसान सहकारी बैंक की शाखाओं पर आपत्ति जताने पहुंच चुके हैं, उधर, समितियों को  कर्ज प्रदान करने का रिकॉर्ड नहीं मिल रहा है.

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