जबलपुर: बार काउंसिल आफ इंडिया द्वारा पारित प्रस्ताव के मुताबिक वकीलों के अधिकारों की रक्षा, अदालत की स्वतंत्रता, लोकतांत्रिक मूल्यों और संस्थाओं की रक्षा को लेकर वकीलों ने 12 फरवरी को अदालती कार्य से विरत रहते हुए एक दिवसीय प्रतिवाद दिवस मनाने का आह्वान किया है। मध्यप्रदेश राज्य अधिवक्ता परिषद् ने भी एक दिवसीय प्रतिवाद दिवस मनाने का फैसला किया है। अमित शाह ने उद्धव को किया फ़ोन, शिवसेना ने माँगा 1995 वाला फार्मूला मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन के अध्यक्ष आदर्श मुनि ने सोमवार शाम प्रेस वालों को बताया है कि, 18 जनवरी 2019 को सर्वोच्च न्यायालय ने हाईकोर्ट के नियमों में संशोधन किया है। हम उस संशोधन पर विरोध करते हैं। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने मद्रास उच्च न्यायालय के नियम को रद्द कर दिया है, जिसमें अनुशासनिक कार्रवाई के अधिकार का इस्तेमान वकीलों के हड़ताल करने की स्तिथि में या न्यायायिक कार्य से विरक्त रहने की स्तिथि में अधिकार मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने अपने पास रखा है। मध्यप्रदेश के अधिवक्ता इसका विरोध कर रहे हैं। भाजपा का दावा, नायडू का अनशन, महामिलावट का एक और नज़ारा उन्होंने बताया है कि जिस तरह पहले की सरकार ने अधिवक्ता प्रोटेक्शन एक्ट की मांग पूर्ण नहीं की थी। अब वर्तमान कमलनाथ सरकार ने अपने घोषणा पत्र में अधिवक्ता प्रोटेक्शन एक्ट और कनिष्ठ अधिवक्ताओं को 4 हजार रुपए स्टाईपेंड देने का वचन दिया था, जो सरकार ने अभी तक पूरा नहीं किया है। अगर सरकार ने एक सप्ताह में अधिवताओं की मांगों को पूरा नहीं किया तो मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन सरकार के खिलाफ बड़ा कदम उठाएगा। खबरें और भी:- चोकीदार 'प्योर' है और उसका फिर से पीएम बनना भी 'श्योर' है - राजनाथ सिंह भाजपा नेता की खुली चुनौती, अगर प्रियंका-राहुल ने मुझे हरा दिया, तो छोड़ दूंगा राजनीति राफेल डील: आज सदन में पेश होगी CAG रिपोर्ट, विपक्ष को मिलेगा करारा जवाब