भोपाल: कहते हैं कि इतिहास अपने आप को दोहराता है। बता दें कि इसका उदाहरण मध्य प्रदेश में एक बार फिर देखने को मिला। जानकारी के अनुसार बता दें कि लगभग 30 साल पहले कांग्रेस के नेता माधवराव सिंधिया प्रदेश के मुख्यमंत्री बनते-बनते रह गये थे। वहीं इस बार उनके पुत्र ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ ऐसा हुआ है और वह प्रदेश के मुख्यमंत्री बनते-बनते रह गये। छत्तीसगढ़ चुनाव: राहुल गाँधी की बैठक हुई ख़त्म, लेकिन अब भी सीएम के नाम पर नहीं हो पाया फैसला वहीं बता दें कि जनवरी 1989 में चुरहट लॉटरी कांड के चलते अर्जुन सिंह को मुख्यमंत्री पद छोड़ना पड़ा था, लेकिन राजीव गांधी की इच्छा के बावजूद सिंह के आलाकमान पर दबाव के चलते माधवराव सिंधिया तब मुख्यमंत्री नहीं बन सके थे। इसके साथ ही अर्जुन सिंह के समर्थक हरवंश सिंह के भोपाल बंगले में समर्थक विधायकों ने इसलिए डेरा डाले रखा कि कांग्रेस के पर्यवेक्षकों को यह संदेश दिया जा सके कि विधायकों का बहुमत अर्जुन सिंह के साथ है। सचिन पायलट को उपमुख्यमंत्री बनाने से नाराज़ परिवार ने कहा, राहुल गाँधी ने दे दिया धोखा गौरतलब है कि उस समय माधवराव सिंधिया पूरे भरोसे में थे कि उन्हें मुख्यमंत्री बनाया जा रहा है और वह दिल्ली से उड़ान से भोपाल आ गये और दो दिन तक भोपाल में ही रुके रहे। लेकिन अर्जुन सिंह के दबाव के कारण सिंधिया के स्थान पर मोतीलाल वोरा को मुख्यमंत्री बनाया गया। वहीं बता दें कि इस घटना के 29 साल बाद माधवराव के पुत्र ज्योतिरादित्य सिंधिया भी प्रदेश के सबसे युवा मुख्यमंत्री बनते-बनते रह गये और 72 वर्षीय कमलनाथ देश के मध्य में स्थित सूबे में 15 साल बाद कांग्रेस की सत्ता संभालने जा रहे हैं। खबरें और भी प्रशांत किशोर का दावा, विधानसभा चुनाव में हार से भाजपा को कोई नुकसान नहीं, 2019 में फिर बनेगी मोदी सरकार किसानों की कर्जमाफी करना सही नहीं, राजनितिक पार्टियां न करें ऐसे वादे- रघुराम राजन छत्तीसगढ़ चुनाव में आदिवासियों ने सबसे ज्यादा नोटा का उपयोग किया