भोपाल : मध्य प्रदेश में कोरोना का कहर लगातार बढ़ता जा रहा है. वहीं कोरोना वायरस से बचाव के लिए 14 अप्रैल तक लॉकडाउन में भोपाल के गोविंदपुरा औद्योगिक क्षेत्र को 300 करोड़ रुपये का आकलन उद्योगपति लगा रहे हैं. गोविंदपुरा इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के पदाधिकारियों की बात मानें तो कोरोना वायरस का असर सभी 1100 छोटी-बड़ी इंडस्ट्रीज पर पड़ा है. लॉकडाउन में कारखाने बंद होने से कोरोना के डर से 50 प्रतिशत श्रमिक पलायन कर चुके हैं. पूरा वेतन देने के बाद भी श्रमिक काम करना नहीं चाहते है. बाकी प्रतिशत श्रमिकों की उद्योगपतियों ने खाने व रुकने की व्यवस्था की है, लेकिन वो भी लॉकडाउन खुलने का वक्त का इंतजार कर रहे हैं. कोरोना का भय इतना बन गया है कि मजदूर कारखानों में काम करना नहीं चाहते. वहीं भोपाल, विदिशा, रायसेन, सीहोर, होशंगाबाद, बैतूल सहित बिहार, छत्तीसगढ़ सहित अन्य प्रदेशों से मजदूर काम करते थे पर कोरोना के डर से आगामी दिनों में भी काम करना नहीं चाहते है. इधर भेल कारखाना बंद होने से ट्रांसफार्मर, टरबाइन सहित अन्य भारी उपकरणों के ऑर्डर नहीं मिले हैं. लॉकडाउन के अभी 21 दिन पूरे नहीं हुए हैं. 14 अप्रैल तक लॉकडाउन है. आगे बढ़ाने की भी खबरें सुनने को मिल रही है. यदि लॉकडाउन लंबे वक्त तक रहा तो उद्योगों को दोबारा उठाना मुश्किल हो सकता है. 21 दिन के लॉकडाउन के बाद भी उद्योगों को पटरी पर लाने में डेढ़ से दो महीने लगने की उम्मीद है. सरकार उद्योगपतियों का सहयोग करें. अलग-अलग लिए जाने वाले टैक्स में राहत दी जाए. बिजली के बिल माफ हों. जानकारी के लिए बता दें की फार्मा कंपनियों के अलावा बाकी उद्योग ठप हैं. फिर से उद्योगों को चलाने में उद्योगपतियों को कई चुनौतियों से जूझना पड़ेगा. शासन स्तर पर उद्योगपतियों को टैक्स में राहत दी जाए. 21 दिन के लॉकडाउन के बाद तो उद्योगपति स्थिति संभाल लेंगे. यदि इसके बाद लॉकडाउन और होता है तो पूरी तरह से ठप हुए उद्योगों को दोबारा शुरू करने में बहुत कठिनाई होगी. डेढ़ से दो महीने उद्योगों को संभालने में ही लग जाएंगे. एमपी के इस शहर में एक और कोरोना पॉजिटिव मरीज मिला कोरोना : विदेशी यात्रियों के खिलाफ योगी सरकार का बड़ा एक्शन, जब्त होगा सबका पासपोर्ट इस शहर में है बिना मास्क के बाहर निकलने पर प्रतिबंध