जबलपुर: महिलाओं के साथ हो रहे बलात्कार के मामलों की जांच में किस कदर की लापरवाही बरती गई इसका खुलासा चौंकाने वाला है. मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय में पेश की गई एक रिपोर्ट के अनुसार, 1 जुलाई 2018 से लेकर 31 मार्च 2019 के बीच मध्यप्रदेष में दुष्कर्म के कुल 4359 केस दर्ज किए गए है, जिनमें से 731 मामले ऐसे हैं, जिनमें अपराधियों का DNA टेस्ट ही नहीं कराया गया. जबकि शीर्ष अदालत और फिर उच्च न्यायालय के स्पष्ट निर्देश थे कि दुष्कर्म जैसे संजीदा मामलों में अपराधियों के DNA रिपोर्ट कराना अनिवार्य है. दरअसल पुलिस की इतनी बड़ी लापरवाही उच्च न्यायालय में दाखिल की गई एक जमानत याचिका के द्वारा उजागर हुई. रीवा के रहने वाले सूरजपाल आदिवासी पर दुष्कर्म का मामला दर्ज था, उसी की जमानत अर्जी पर जब DNA रिपोर्ट बुलाई गई तो पाया गया कि जांच अधिकारी ने DNA की जांच कराई ही नहीं थी. इसके बाद मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय द्वारा DGP को निर्देश देते हुए मध्य प्रदेश भर की रिपोर्ट बुलवाई गई तो पता चला कि ऐसे कितने दुष्कर्म के मामलों में अपराधियों का DNA नहीं कराया गया है. उच्च न्यायालय में रिपोर्ट पेश हुई और आंकड़ा सामने आया कि लगभग पिछले 2 साल के अंदर 731 दुष्कर्म के ऐसे मामले थे जिसमें अधिकारियों ने लापरवाही बरती और अपराधियों का DNA नहीं कराया गया. उच्च न्यायालय द्वारा मामले को गंभीरता से लेते हुए दोषी अधिकारियों की सूची और उन पर की जाने वाली दंडात्मक कार्रवाई की जानकारी मांगी गई है. बजट सत्र से पहले पीएम मोदी ने बुलाई सर्वदलीय बैठक, सरकार हर मुद्दे पर बात करने को तैयार Budget 2020: रेलवे के पेंशनर्स को मिल सकता है बड़ा तोहफा, वित्त मंत्री कर सकती हैं ये ऐलान सोने की कीमत में जबरदस्त उछाल, चांदी ने भी लगाई बड़ी छलांग