भोपाल : मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार ने आगामी अप्रैल से मंत्रालय को पूरी तरह पेपरलेस करने का फैसला किया है.इसे ई-गवर्नेंस की दिशा में बढ़ाया गया एक कदम माना जा रहा है. सचिवालय में इस व्यवस्था को पूरा करने में दो माह का समय लगेगा. इस बारे में प्रवक्ता नरोत्तम मिश्रा ने बताया कि मंत्रियों को इस कार्य के लिए आईटी का प्रशिक्षण दिया जाएगा , ताकि वो पेपरलेस तरीके से काम कर सकें. यही नहीं मंत्री कामकाज के दौरान डिजिटल हस्ताक्षर भी करेंगे. इसमें समय भी बचेगा. लेकिन प्रवक्ता ने ई-कैबिनेट के आरम्भ होने की कोई एक निश्चित तारीख का खुलासा नहीं किया.पेपरलेस योजना के अलावा बजट में वित्तीय वर्ष 2018-19 के लिए 2 लाख करोड़ रुपये का प्रस्ताव रखा गया. आपको बता दें कि ऐसा करने वाला मध्यप्रदेश पहला राज्य नहीं है . इसके पहले हिमाचल प्रदेश विधानसभा को 2014 में पूरी तरह से डिजिटल किया जा चुका है.वहीं देश का पहला पूरी तरह से पेपरलेस ऑफिस केरल में शुरू हो चुका है.केंद्रीय कोयला मंत्रालय और हैदराबाद हाईकोर्ट ने भी 2016 में ही पेपरलेस को अपनाते हुए सभी रिकॉर्ड्स को डिजिटाइज़ करने की प्रक्रिया शुरू कर दी थी. स्मरण रहे कि 2016 में केंद्र सरकार ने सभी विभागों और मंत्रालयों को पेपरलेस बनाने की दिशा में काम करने घोषणा कर पुरस्कार देने की भी बात कही थी. यह भी देखें करणी सेना ने फिर दी चेतावनी पार्सल में भेजा रेडियो बम, धमाके में तीन घायल