नई दिल्ली: एक अहम फैसले में मद्रास उच्च न्यायालय ने कहा है कि 1 सितंबर से यदि कोई भी वाहन बेचा जाता है, तो ‘बम्पर-टू-बम्पर’ इंश्योरेंस अनिवार्य होना चाहिए. ये पांच वर्षों के लिए ड्राइवर, पैसेंजर्स, और वाहन मालिक को कवर करने वाले इंश्योरेंस से अलग होना चाहिए. फैसले के दौरान अदालत ने कहा कि वाहन के मालिक को ड्राइवर, पैसेंजर, थर्ड पार्टी और खुद के हितों की रक्षा करने के लिए अलर्ट रहना चाहिए, जिससे कि वाहन के मालिक पर एक्स्ट्रा बोझ थोपने से बचा जा सके. न्यायाधीश, इरोड के विशेष जिला न्यायालय, मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण के 7 दिसंबर, 2019 के आदेशों को चुनौती देने के न्यू इंडिया एश्योरेंस कंपनी लिमिटेड की एक अर्जी पर सुनवाई कर रहे थे. बीमा कंपनी ने बताया कि विचाराधीन बीमा पॉलिसी सिर्फ उस खतरे को कवर करेगी, जिसका सामना वाहन के लिए किसी तीसरे पक्ष ने किया, न कि उसके रहने वालों द्वारा. बीमा कंपनी ने दलील दी कि कार के मालिक द्वारा अतिरिक्त प्रीमियम का पेमेंट करने पर वाहन के मालिक के लिए कवरेज बढ़ाया जा सकता है. न्यायाधीश ने के. पार्वती और तीन अन्य को 14.65 लाख रुपये का मुआवजा देने के ट्रिब्यूनल के आदेश को निरस्त कर दिया. हालांकि जज ने यह स्पष्ट कर दिया कि यह आदेश दावेदारों को कार के मालिक से मृतक की मौत के लिए मुआवजे का दावा करने से नहीं रोकेगा, जिस पॉलिसी के लिए कार का बीमा किया गया था. इस फैसले से अलग होने से पहले, जज ने कहा कि यह बताना दुखद है कि जब कोई वाहन बेचा जाता है, तो खरीदार को पॉलिसी की शर्तों और इसके महत्व के संबंध में स्पष्ट रूप से सूचित नहीं किया जाता है. साथ ही अदालत ने ये भी कहा कि वाहन खरीदते वक़्त, खरीदार को भी पॉलिसी के नियमों और शर्तों को अच्छी तरह से समझने में कोई रुचि नहीं होती, क्योंकि वो वाहन की परफॉर्मेंस के बारे में अधिक चिंतित होता है न कि पॉलिसी के बारे में. अदालत ने कहा कि कोर्ट निर्देश देती है कि जब भी 1 सितंबर के बाद कोई नया वाहन बेचा जाता है, तो हर साल पांच वर्षों की अवधि के लिए वाहन के चालक, यात्रियों और मालिक को कवर करने के अलावा बम्पर-टू-बम्पर बीमा अनिवार्य होगा. काबुल से भारतीय और नेपाली लोगों को लेकर जल्द दिल्ली पहुंचेगी आईएएफ Fact Check: इंटरनेशनल कोर्ट के चीफ जस्टिस बने भारत के जज 'दलवीर भंडारी' ? भारत ने कतर की राजधानी दोहा से 146 नागरिकों को बुलाया वापस