भोपाल: किसानों का लहू एक बार फिर सियासी और क़ानूनी दावपेंच में सस्ता साबित हुआ और मध्य प्रदेश के मंदसौर में किसान आंदोलन के दौरान जून 2017 को हुए गोलीकांड में पांच किसानों को गोली मारने वाले पुलिस और सीआरपीएफ के जवानों को जस्टिस जेके जैन आयोग ने क्लीच चिट दे दी. नौ महीने देरी से पेश की गई इस रिपोर्ट में कहा गया है कि तत्कालीन परिस्थितियों में भीड़ को तितर-बितर करने और पुलिस बल की जीवन रक्षा के लिए गोली चलाना नितांत आवश्यक और न्यायसंगत था. आयोग ने गोलीकांड में निलंबित हुए कलेक्टर स्वतंत्र कुमार और एसपी ओपी त्रिपाठी को भी सीधे तौर पर दोषी करार देने ने मना कर दिया है. रिपोर्ट में सिर्फ ये लिखा गया है कि पुलिस और जिला प्रशासन का सूचना तंत्र कमजोर और आपसी सामंजस्य न होने के कारण आंदोलन उग्र हुआ. किसान और अफसरों के बीच संवादहीनता के कारण जिला प्रशासन को उनकी मांगों और समस्याओं की जानकारी नहीं थी, जिन्हें जानने का प्रयास भी नहीं किया गया. गोली चलाने में पुलिस ने नियमों का पालन नहीं किया, पहले पांव पर गोली चलाना चाहिए थी, लेकिन इसका ध्यान नहीं रखा गया. जैन आयोग की जांच रिपोर्ट के कुछ अंश - - सीआरपीएफ की गोलियों से 2 किसानों की मौत और 3 घायल - पुलिस की गोलियों से 3 किसानों की मौत और 3 घायल - सीआरपीएफ और पुलिस का गोली चलाना न तो अन्याय पूर्ण है न ही बदले की भावना से उठाया गया कदम - जिला प्रशासन ने घटना के पूर्व जो कदम उठाए वो पर्याप्त नहीं थे. - अप्रशिक्षित पुलिस बल से भीड़ को तितर-बितर करने आंसू गैस के गोले चलवाए गए जो असफल साबित हुए. - आयोग ने घटना के 100 दिन बाद अपनी कार्रवाई शुरू की और 211 गवाहों के बयान लिए, जिनमें 185 आम जनता से थे और 26 सरकारी गवाह थे हाँ मैं कांग्रेस का एजेंट हूँ :हार्दिक पटेल किसान अभियान की शुरुआत मंदसौर से करूँगा-प्रवीण तोगड़ि‍या प्रदेश का किसान सड़कों पर और सीएम शिवराज करियर काउंसलिंग में